
इंदौर: 20 हजार पुलिसकर्मियों ने पूरे प्रदेश में 6 मई की शाम को फ्लैग मार्च निकालकर लोगों के बीच पहुंचकर जो हुंकार भरी है वह पर्याप्त नहीं है। क्योंकि अधिकांश पुलिस थानों में पुलिस वल की कमी है। जिसकी वजह से आम जनता परेशान होती है अपने आवेदनों का निरीक्षण भी नहीं करवा पाती है, जब भी कोई आम व्यक्ति पुलिस थाने पहुंचता है तो उसके साथ पुलिसकर्मी सही तरीके से अपना समय भी नहीं दे पाते हैं, क्योंकि उनके पास इतना वर्क लोड होता है वह आया राम गया राम जैसा काम करते हैं। अभी 2 दिन पहले मुरैना जिले के सिहोनिया थाना के अंतर्गत आने वाले गांव लेपा में जिस तरह से 6 लोगों का नरसंहार किया गया वह किसी से छिपा नहीं है। एक व्यक्ति जब सिहोनिया थाना पहुंचता है तो वहां के कर्मचारियों ने खुले खुले शब्दों में कहा मेरे पास कोई भी पुलिस बल नहीं है जिसको मरना है मर जाने दो आपके द्वारा मेरा वीडियो शूट करने से कुछ नहीं होगा ,यह किसी आम व्यक्ति ने नहीं बल्कि मुरैना जिले के सिहोनिया थाना के कर्मचारी ने उस व्यक्ति से कहा।
अब आप समझ सकते हैं कि शिवराज सिंह की सरकार में सन 2017 के बाद से आज तक पुलिस वल में कोई भी भर्ती नहीं हुई है और पुलिस वल को जो भी आवश्यकता अनुसार जो संसाधन चाहिए हैं वह सरकार मुहैया नहीं करवा पा रही है। मध्यप्रदेश में जनता की सुरक्षा भगवान भरोसे ही है. अगर कोई बड़ा क्राइम होता है या कोई बड़ी दुर्घटना होती है तो सरकार के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है जब पुलिस वालों की ही कमी है तो आम व्यक्ति की सुरक्षा कहां से होगी।
आए दिन आप लोग खबरों में पढ़ते ही हैं कभी किसी के गले की चेन लूटी गई, किसी का मोबाइल चोरी हो गया, किसी की बाइक चोरी हो गई, घरों में चोरियां हो गई ,किसी के चलते रास्ते लूटपाट हो गई ,किसी चौराहे पर लड़कियों के द्वारा हुड़दंग किया जा रहा है ,कहीं पर ड्रग्स बेचा जा रहा है, कहीं पर पाउडर की पुड़िया बेची जा रही हैं, यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि जब पर्याप्त पुलिस बल नहीं होगा।तो पुलिस का ख़ौफ़ कहाँ से दिखेगा। यह सब चीजें रोजमर्रा में आप लोगों को दिखाई ही पड़ेगी।आखिर सरकार जनता की सुनबाई कब करेगी?
इंदौर और भोपाल में मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा 9 दिसंबर 2021 को कमिश्नरी सिस्टम लागू किया गया। कमिश्नरी सिस्टम लागू भर कर देने से आम जनता की सुरक्षा नहीं हो जाती है। जिस दिन से कमिश्नरी सिस्टम लागू हुआ है, इंदौर की हालत दिन प्रतिदिन और खराब होती चली गई है। आए दिन रात के समय में चौराहों पर, शराब परोसने के ठिकानों पर या यूं कहें पबों में झगड़े होते ही रहते हैं। बल्कि कमिश्नरी लागू करने के बाद इंदौर में नाइट कल्चर को लागू किया गया यह नाइट कल्चर इंदौर की संस्कृति को पूरी तरीके से नष्ट कर रही है, क्योंकि पुलिस का शहर पर कोई भी या किसी भी तरीके का खौफ नहीं है। पुलिस कमिश्नर सिस्टम ऐसे लग रहा है जैसे ट्रैक्टर के पहिए में साइकिल के पहिए लगा दिए गए और किसान से कहा जाए कि आप खेत जोतिये। इतना भारी भरकम सिस्टम में काम करने के लिए पुलिस बल की आवश्यकता होती है।
यही हाल पूरे प्रदेश के पुलिस बल का है अगर पुलिस बल है तो सिर्फ वीवीआईपी मूवमेंट में लगा रहता है पुलिस वालों को अगर आपको देखना है तो किसी बड़े मंत्री के दरबार में होंगे किसी बड़े अधिकारी के बंगले पर ड्यूटी निभा रहे होंगे या यूं कहें किसी वीआईपी की सुरक्षा में लगे होंगे आम जनता की सुरक्षा तो सिर्फ भगवान भरोसे ही है…