
माफिया ब्रॉदर्स अतीक अहमद और अशरफ हत्याकांड में गिरफ्तार किए गए तीनों शूटरों की कस्टडी रिमांड रविवार को खत्म हो गई। इस दौरान तीनों को प्रतापगढ़ जेल में दाखिल करा दिया गया। फिलहाल पांच दिन तक चली पूछताछ में भी हत्याकांड की साजिश के तार नहीं जुड़ पाए।
शूटर नाम कमाने के लिए ही वारदात अंजाम देने की बात पर कायम रहे और सनी सिंह ही खुद को मास्टरमाइंड बताता रहा। तीनों शूटर सनी सिंह, अरुण कुमार मौर्य व लवलेश तिवारी को 19 अप्रैल को स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम(एसआईटी) ने कस्टडी रिमांड पर लिया गया था। इसके बाद पांच दिनों तक उनसे गहन पूछताछ की गई। कस्टडी रिमांड अवधि शाम पांच बजे तक थी।
हालांकि इससे पहले ही उन्हें जेल भेज दिया गया। पुलिस लाइन से दोपहर 12.30 बजे के करीब उन्हें प्रिजन वैन से रवाना किया गया। दोपहर 2.28 मिनट पर उन्हें प्रतापगढ़ जेल में दाखिल करा दिया गया।
दो महीने से बना रहे थे योजना
सूत्रों का कहना है कि एसआईटी की पूछताछ में फिलहाल शूटरों ने किसी साजिशकर्ता का नाम नहीं उगला। वह यही बयान देते रहे कि हत्याकांड को उन्होंने जरायम की दुनिया में नाम कमाने के लिए अंजाम दिया। इसकी प्लानिंग सनी ने दो महीने पहले की थी। 24 फरवरी को उमेश पाल हत्याकांड का वीडियो फुटेज देखने के बाद उन्हें लगा कि जब अतीक का बेटा इस तरह की वारदात कर सकते हैं तो वह क्यों नहीं। इसके बाद से ही वह टीवी, सोशल मीडिया के जरिए अतीक-अशरफ से जुड़ी हर खबर पर नजर रखने लगे थे।
नार्को या लाई डिटेक्टर टेस्ट की मांगी जा सकती है अनुमति
सूत्रों का कहना है कि भले ही शूटर खुद से ही वारदात अंजाम देने की बात पर कायम हैं। लेकिन अब भी उनके बयान पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा रहा। यही वजह है कि विवेचना में जुटी एसआईटी जल्द ही शूटरों के नार्को या लाई डिटेक्टर टेस्ट की अनुमति के लिए अर्जी दाखिल कर सकती है। हालांकि इसके लिए अभियुक्तों की मंजूरी जरूरी होगी। फिलहाल इस बारे में पुलिस अफसर आधिकारिक रूप से कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।
सूबूत जुटाने को कम पड़े पांच दिन, एसआईटी को मिली मायूसी
माफिया भाइयों से पूछताछ के लिए मिली पांच दिन की अवधि स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम(एसआईटी) के लिए कम पड़े। उसे सबूत जुटाने के लिए और वक्त की दरकार थी। यही वजह रही कि उसकी ओर से कस्टडी रिमांड अवधि बढ़ाने की भी अर्जी दी गई। लेकिन उसे मायूसी हाथ लगी और अर्जी नामंजूर हो गई।
मौके से गिरफ्तारी के बाद ही प्रारंभिक पूछताछ में शूटरों ने बताया था कि उन्होंने अपराध जगत में नाम कमाने को अतीक-अशरफ को मारा। 19 अप्रैल को कस्टडी रिमांड के पहले दिन भी वह रटी रटाई स्क्रीप्ट ही सुनाते रहे। वजह पूछने पर पहले के बयान पर ही कायम रहे। दूसरे दिन 20 अप्रैल को एसआईटी ने घटनास्थल पर पहुंचकर सीन रीक्रिएशन कराया।
रात में पूछताछ के दौरान शूटर सनी का दिल्ली के कुख्यात गोगी गैंग से कनेक्शन सामने आया। 21 अप्रैल को दो मददगारों की बात सामने आई लेकिन उनके बारे में शूटरों ने कोई जानकारी नहीं दी। 22 अप्रैल को यह बात सामन आई कि शूटरों ने खुल्दाबाद थाने के पास यानी घटनास्थल से एक किमी की दूरी पर स्थित होटल स्टे-इन को ठिकाना बनाया था।
जबकि आखिरी दिन रविवार को दोपहर में ही उन्हें प्रतापगढ़ के लिए रवाना कर दिया गया। पुख्ता सूत्रों का कहना है कि एसआईटी सबूत जुटाने के लिए कुछ और वक्त चाहती थी। इसके लिए उसकी ओर से कोर्ट में अर्जी भी दी गई। लेकिन अर्जी नामंजूर होने पर अफसरों को मायूस होना पड़ा।