
विश्व धरोहर दिवस अथवा विश्व विरासत दिवस प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को दुनिया भर में मनाया जाता है। इस दिन को “स्मारकों और स्थलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस” के नाम से भी जाना जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि पूरे विश्व में मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के महत्त्व,उनके अस्तित्व के सम्भावित खतरों व उनके संरक्षण के प्रति जागरूकता लाई जा सके।
वर्ल्ड हेरिटेज डे 2023 की थीम
1983 के बाद से, स्मारकों और स्थलों पर अंतर्राष्ट्रीय परिषद ने एक विषय निर्धारित किया है और हर साल इसे अलग-अलग थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल विश्व विरासत दिवस ‘हेरिटेज चेंजेस’ थीम के तहत मनाया जाएगा।
विश्व धरोहर दिवस का उद्देश्य
18 अप्रैल को मनाए जाने वाले विश्व धरोहर दिवस का उद्देश्य है दुनियाभर में मानव इतिहास से जुड़े ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक स्थलों को संरक्षित किया जाए, जिसके लिए लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है।
विश्व धरोहर दिवस का महत्व
पर्यटन बहुत ही बड़ा माध्यम बना है लोगों को इन धरोहरों को देखने और जानने का। देश के अलग-अलग देशों में स्थित ये धरोहरें प्रकृति के साथ मानव के रचनात्मकता और कलात्मकता को बयां करती हैं। तो इन्हें संरक्षित करना हर एक नागरिक की जिम्मेदारी होनी चाहिए।
विश्व धरोहर दिवस का इतिहास
विश्व धरोहर दिवस को साल 1982 में 18 अप्रैल के दिन मनाने करने की घोषणा की गई थी और इसके 1 साल बाद ही यानी साल 1983 में यूनेस्को महासभा ने इसे पूरी तरह से मान्यता दे दी, जिससे लोगों में सांस्कृतिक विरासत के महत्व को लेकर जागरूकता बढ़े और वो इसे देखने के साथ ही इसके संरक्षण को लेकर भी अपनी जिम्मेदारी समझें। साल 1982 में 18 अप्रैल के दिन इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मोनुमेंट्स एंड साइट के द्वारा पहला ‘विश्व विरासत दिवस’ ट्यूनीशिया में सेलिब्रेट किया गया था।