मध्यप्रदेश में नेताओं-अफसरों के आपत्तिजनक वीडियो बनाने वाली ब्लैकमेलर गैंग की करतूतों की जांच के लिए सोमवार को गठित 12 सदस्यीय एसआईटी के चीफ को सरकार ने 24 घंटे के भीतर ही बदल दिया। अब इसकी जिम्मेदारी तेजतर्रार अफसरों में शुमार एडीजी संजीव शमी को दी गई है। इससे पहले इस टीम के चीफ 1997 बैच के आईपीएस डी श्रीनिवास वर्मा थे।
चीफ को बदले जाने पर प्रशासन ने कहा कि आईजी वर्मा ने ही इच्छा जाहिर की थी कि उन्हें इस जिम्मेदारी से दूर रखा जाए। हालांकि आईजी वर्मा ने इस संबंध में ज्यादा कुछ कहने से मना करते हुए सिर्फ इतना कहा कि न मैंने एसआईटी प्रमुख बनने के लिए आवेदन किया था और न ही हटने के लिए।
मंगलवार सुबह हनीट्रैप मामले की जांच के लिए एसआईटी के प्रमुख के तौर पर डी श्रीनिवास वर्मा ने काम शुरू कर दिया था। दोपहर तक केस से जुड़ीं फाइलें भी देखीं। शाम को उन्हें पता चला कि अब संजीव शमी एसआईटी के प्रमुख होंगे।
एसआईटी में उनके अलावा एसपी, एएसपी, सीएसपी और इंस्पेक्टर स्तर के लगभग 12 अफसरों को शामिल किया जाएगा। उधर, इंदौर नगर निगम के प्रभारी आयुक्त कृष्ण चैतन्य ने अधीक्षण यंत्री हरभजन सिंह को निलंबित कर दिया है।
इस पूरे मामले की अब भ्रष्टाचार के एंगल से भी जांच होगी। जिसमें देखा जाएगा कि जिन-जिन अफसरों और नेताओं के वीडियो मिले, उन्होंने किन-किन लोगों और संस्थाओं को कितना फायदा पहुंचाया।
डीजीपी विजय कुमार सिंह ने एसआईटी को इस घटना के हर पहलू की बारीकी से जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिए हैं। मामले में डीजीपी का कहना है कि जांच एक जिले तक सीमित नहीं है। बहुत सी जानकारियां सामने आ रही हैं, इसको देखते हुए एसआईटी का गठन किया गया है।
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