आमतौर पर जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ने लगती हैं उसकी शारीरिक सक्रियता कम होने लगती है. हमारे देश में 60 वर्ष की आयु सेवानिवृत्ति की आयु मानी जाती है. इस उम्र तक आते-आते बुजुर्ग लोग अपनी शारीरिक गतिविधियाँ विशेषतौर पर व्यायाम करना काफी कम कर देते हैं. आम भारतीय परिवारों में ज्यादातर 60 से 65 वर्ष तथा उससे ज्यादा आयु वाले पुरुष तथा महिलायें अपना अधिकांश समय बैठकर या लेटकर बिताते हैं. लेकिन यह शारीरिक निष्क्रियता उनमें स्वास्थ्य हानी विशेषकर मोटापा, हृदय रोग, मधुमेह, पाचन संबंधी रोग तथा हड्डी व मांसपेशियों संबंधी समस्याएं होने का कारण बनती हैं.बुढ़ापे में रोगों और शारीरिक समस्याओं का जोखिम कम करने के लिए जरूरी है कि सिर्फ व्यायाम ही नही बल्कि घर तथा बाहर के सामान्य कामों में भी बुजुर्ग नियमित तौर पर सक्रिय रूप से भागीदार बने, जैसे नाती-पोतों के साथ के साथ खेलने तथा अन्य गतिविधियों में समय बिताएं, घर के पालतू जानवरों को सैर पर ले जाएं तथा उनके साथ खेलें, बाजार से सब्जी लाने जैसी जिम्मेदारी अपने सर पर लें. इसके अलावा बागवानी की जिम्मेदारी और दोस्तों के साथ शाम या सुबह की वॉक न सिर्फ शारीरिक सक्रियता बनाए रखेगी बल्कि मन को भी प्रसन्न रखेगी .
शारीरिक व मानसिक समस्याओं से बचाती है शारीरिक सक्रियता
नोएडा के जनरल फिजीशियन डॉ केवल ध्यानी बताते हैं जो लोग बढ़ती उम्र में व्यायाम तथा अन्य कार्यों में शारीरिक व मानसिक रूप से सक्रिय रहते हैं उनमें कोमोरबीटीज जैसे मधुमेह, मोटापा, उच्च रक्तचाप सहित हृदय रोग, पाचन रोग, हड्डियों से जुड़े रोग, चिंता, तनाव, अवसाद और डिमेंशिया का जोखिम अपेक्षाकृत कम नजर आता है.
सही मार्गदर्शन में करें व्यायाम
पुणे महाराष्ट्र के फिटनेस एक्सपर्ट (स्विमिंग, एरोबिक्स तथा जुंबा ट्रेनर) ऐशले डिसूजा, जोकि ज्यादा उम्र वाले लोगों के लिए फिटनेस क्लास भी चलाते हैं , बताते हैं कि हफ्ते में पाँच दिन 30 मिनट का हल्के तथा मध्यम दर्जे का व्यायाम भी बुजुर्गों के लिए काफी फायदेमंद होता है, बशर्ते उसे सही मार्गदर्शन में किया जाय. इन व्यायामों में वॉक, हल्की-फुल्की स्ट्रेचिंग, योग, ध्यान तथा ऐसे खेल भी खेले जा सकते हैं जिनमें हल्की-फुल्की शारीरिक गतिविधियां शामिल हों. लेकिन बहुत जरूरी है कि इन सब से पहले चिकित्सक से अपनी पूरी जांच करवा ली जाय, जिससे यह पता चल सके की व्यक्ति को श्वास या हड्डी सहित शरीर के किसी विशेष अंग में कोई रोग या समस्या तो नहीं है. ऐसा नहीं हैं की इस प्रकार की अवस्था में व्यक्ति व्यायाम नहीं कर सकता हैं लेकिन यह भी सत्य है कि किसी समस्या या अस्वस्थता में वह सभी प्रकार के व्यायाम नही कर सकता है. अन्यथा वे किसी गंभीर समस्या का शिकार बन सकते हैं.ऐशले बताते हैं कि यदि व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ है तो वह प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करने का ध्येय रख सकते हैं. लेकिन श्वास संबंधी रोगों तथा अर्थराईटिस जैसे रोग से पीड़ित लोगों को नियमित तौर पर किए जाने वाले व्यायामों का चयन बड़े ध्यान से किसी चिकित्सक या फिटनेस विशेषज्ञ से सलाह के उपरांत ही करना चाहिए.
बुजुर्गों के लिए शारीरिक सक्रियता बनाए रखने के लिए कुछ टिप्स
बहुत ज्यादा समय तक बैठने या लेटने से बचें.ज्यादा देर तक बैठकर टीवी देखने तथा कम्प्यूटर और मोबाइल के इस्तेमाल से बचें.घर और बाहर का कामों में सक्रिय भूमिका निभाएं. जैसे रसोई का काम , बाजार से सब्जी, दूध या अन्य समान लाना, बागवानी करना, घर की साफ-सफाई में मदद करना आदि.मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए प्रतिदिन अपने पसंदीदा कार्य जैसे संगीत, बागवानी, पेंटिग, लेखन तथा पाठन के लिए भी कुछ समय निकालें तथा सूडोकू व चेस जैसे खेल खेलें जिससे दिमाग भी सक्रिय रहे.इस सोच या अवधारणा से बचें की हम बुजुर्ग हैं तो हमें ज्यादा शारीरिक मेहनत नहीं करनी चाहिए.