भाषण के लिए चोरी का आरोप लगाने वालों को महुआ मोइत्रा का करारा जवाब

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने लोकसभा में दिए अपने पहले भाषण से सबको चौंका दिया था. इस भाषण के बारे में सोशल मीडिया पर कैंपेन चला कि ये चोरी किया गया है. एक चैनल ने तो इसपर स्पेशल कार्यक्रम ही बना दिया और महुआ पर चोरी का आरोप लगाया और उनकी तारीफ करने वाले पत्रकारों को भी निशाने पर लिया. अब महुआ ने चोरी आरोपों का करारा जवाब दिया है.

महुआ मोइत्रा ने एक प्रेस रिलीज जारी की है.महुआ मोइत्रा, टीएमसी सांसद”ये जानकर मुझे बहुत दुख हुआ कि मीडिया का एक धड़ा लोकसभा में दिए मेरे भाषण को बिना तथ्यों के जांच किए चोरी का भाषण का करार दे रहा है. वो चोरी तब होती जब मैं उस भाषण के दौरान कही बातों का सोर्स न बताती. मैंने भाषण के दौरान सोर्स का जिक्र करते हुए कहा था कि ये होलोकास्ट म्यूजियम में लगे उस पोस्टर से लिया गया है जो राजनीतिक वैज्ञानिक डॉ. ब्रिट ने बनाया था, जिसमें फासीवाद के 14 लक्षण लिखे हैं.”

महुआ मोइत्रा, टीएमसी सांसद”मुझे 7 लक्षण भारत के परिप्रेक्ष्य में सही लगे, जिसके बारे में मैने विस्तार से बात की. ये साफ है कि बीजेपी की ट्रोल आर्मी और वो मीडिया संस्थान जो सत्ताधारी दल के करीबी हैं, वो मेरे खिलाफ झूठ फैलाने के पीछे हैं. मैंने जो कहा वो दिल से कहा था मैं दोहराती हूं- ‘बांधने मुझे तू आया है, जंजीर बड़ी क्या लाया है?’ ”

महुआ ने भाषण में क्या कहा था?

  • मजबूत और कट्टर राष्ट्रवाद से देश के सामाजिक ताने-बाने को आधात पहुंचा है. इस तरह के राष्ट्रवाद का नजरिया काफी संकीर्ण और डराने वाला है.
  • देश में मानव अधिकारों के हनन की कई घटनाएं घट चुकी हैं. सरकार के हर स्तर पर मानव अधिकारों का हनन हो रहा है. देश में ऐसा माहौल बनाया गया है जिसमें नफरत के आधार पर हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं.
  • महुआ ने संसद में मीडिया के सरकारी नियंत्रण पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि मीडिया को उस हद तक नियंत्रित किए जाने की कोशिशें हो रही हैं जितना सोचा भी नहीं जा सकता.
  • देश में राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर शत्रु खड़ा करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है. ‘हर कोई इस बेनामी ‘काले भूत’ से डर रहा है.
  • सरकार और धर्म के एक दूसरे से संबंधो पर भी उन्होंने सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि सिटिजन अमेंडमेंट बिल के जरिए एक खास समुदाय के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है.
  • इस सरकार ने सभी बुद्धिजीवियों और कलाकारों का तिरस्कार किया है. मोदी सरकार ने विरोध को दबाने की सारी कोशिशें की हैं.
  • उन्होंने दावा किया 2019 के चुनावों में 60 हजार करोड़ खर्च हुए और सिर्फ एक पार्टी ने इसका 50% फीसदी खर्च किया.
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