डॉ विदुषी शर्मा की संकल्पना से दुनिया के 133 लोगों का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ

नई दिल्ली;विश्व रिकॉर्ड अपने आप में  बहुत सम्माननीय है। विश्व रिकॉर्ड का मतलब ही वही है जो अलग है, अनोखा, विलक्षण है, जो सामान्य नहीं है जो महत्वपूर्ण है। बचपन से पढ़ते आ रहे हैं इतिहास में उनका नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित किया जाता है जो कुछ अलग करते हैं, कुछ विशेष करते हैं, जो अपने समर्थकों को ही नहीं अपने विरोधियों को भी साथ लेकर चलने की ताकत रखते हैं क्योंकि…..

” निगाहें नीचे रखते हैं बुलंदी के निशां वाले
उठाकर सर नहीं चलते, जमीन पर आसमां वाले”।

लेकिन उसके अलावा भी और भी बहुत कुछ करने को है, पाने को है, स्थापित करने को है, क्योंकि
 THE SKY HAS NO LIMITS.
जिस प्रकार आकाश अनंत है, मनुष्य की सोच भी अनंत है, उसके इरादे ,उसके जज्बात, उसके जुनून  को किसी पैमाने के तहत नापा नहीं जा सकता। संसार में जिन भी लोगों ने बुलंदियों को छुआ है उनके पीछे यही अभिप्रेरणा काम करती है। यह अभिप्रेरणा हमें ऊर्जा ,शक्ति, हौसला ,विपत्तियों से लड़ने की क्षमता, नाकामियों से ना घबराने का उत्साह, विरोधियों का सामना करने की ताकत और भी न जाने क्या-क्या प्रदान करती है। इसीलिए हर इंसान में वह आग और जज़्बा  होना बहुत जरूरी है कि हमें कुछ करना है। इस जीवन में कुछ विशेष स्थापित करना है।
 यह सब ईश्वर का वरदान है और इन सब के पीछे जो अदृश्य शक्ति काम करती है वह है हम सभी बड़ों के आशीर्वाद और उस सर्वोत्तम सत्ता का विशेष स्नेह क्योंकि इन सबके बिना कुछ भी सम्भव नहीं है।इसी के साथ जब तक हम खुद प्रयास नहीं करेंगे तब तक हमारी सहायता कोई भी नहीं कर सकता।
 विश्व रिकॉर्ड की संकल्पना डॉ विदुषी शर्मा के मस्तिष्क में में तब आई जब उन्होंने किसी और की मदद गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए ही बहुत अच्छे स्तर पर की। मैं खुद पहले दो बार विश्व रिकॉर्ड के विभिन्न संकलनों में प्रतिभागी के तौर पर सम्मिलित हो चुकी हूं।इसके अतिरिक्त  वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर मृगेंद्र राज  मेरी जीवनी भी  लिख चुके हैं। लेकिन तब तक भी मेरे मन में ऐसा कोई विचार नही आया था।
लेकिन जिस प्रकार कहा जाता है कि जब हम किसी और की मदद करते हैं हमारे रास्ते भी अपने आप खुल जाते हैं। यही मेरे साथ भी हुआ ।गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के विश्व रिकॉर्ड स्थापना करने के लिए मैंने एक महिला की बहुत अधिक मदद की, उन्हें  सही रास्ता दिखाया उन्हें संपर्क दिए तो फिर ईश्वर ने मुझे भी यह कार्य करने के लिए अभिप्रेरित किया कि जब मैं दूसरों की मदद विश्व रिकॉर्ड की स्थापना के लिए कर सकती हूं तो मैं खुद क्यों नहीं विश्व रिकॉर्ड  स्थापित कर सकती ।
 बस यही से इस विश्व रिकॉर्ड की स्थापना का यह विचार आया और विचार शक्ति कितनी महत्वपूर्ण है यह तो हम बता ही चुके हैं।
इसके बाद कुछ ऐसा करना था जो पहले नहीं हुआ तो मैंने विचार किया  कि क्यो न खेलों को साहित्य से जोड़ा जाए, काव्य से जोड़ा जाए। क्योंकि कहीं ना कहीं काव्य और खेल आपस में जुड़े हुए हैं। दोनों में ही बहुत सी समानताएं देखी जा सकती हैं जैसे  दोनों में ही शक्ति मानसिक, शारीरिक, संघर्ष, अनुभव ,अभ्यास, निरंतरता, गतिशीलता, अनंतता आवश्यक  है। इस प्रकार हम इन दोनों में  सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं।
  इस पर मैंने शोध किया और उसके बाद अर्जुन पुरस्कार विजेताओं की एक लिस्ट तैयार की जिसमें उन खिलाड़ियों को विशेष रुप से सम्मिलित किया गया जिनके बारे में ,उनके खेल के बारे में हममें से बहुत से लोग जानते तक नहीं है। जो प्रतिष्ठित है उन्हें किसी भी और उपलब्धि की आवश्यकता नहीं है ।इसीलिए मैंने उन नामों को दूर रखा और ऐसे नामों का संकलन किया जिनके बारे में हम जानते तक नहीं है। यह विडंबना ही होगी कि जो हमारे भारत के लिए जो इतना बड़ा पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं उनके नाम तक हम नहीं जानते हैं, उनके खेलों के नाम तक हम नहीं जानते हैं। यह कार्य करते हुए मुझे स्वयं बहुत सी जानकारियां प्राप्त हुई कि हमारे भारत में कितने प्रकार के खेल, खेले जा रहे हैं और उन पर अर्जुन पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान भी किए जा चुके हैं लेकिन हमें उनकी रत्ती भर भी जानकारी नही है। मेरा लक्ष्य इसमें अधिकतर युवाओं को सम्मिलित करना रहा है क्योंकि जब वह विषय का चयन करेंगे तो इंटरनेट पर उनसे संबंधित जानकारी देखेंगे ।इसी प्रक्रिया में वह दो-तीन नाम लेकर उनके बारे में जानकारी एकत्रित करने का प्रयास करेंगे और जो उन्हें उचित लगेगा उसी का चयन करेंगे। इसी बहाने वह लगभग 2 से 3 खिलाड़ियों के बारे में,उनके खेल के बारे में जानकारी हासिल कर लेंगे जो उन्हें भविष्य में कहीं ना कहीं जरूर काम आएगी ।
इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 40 दिनों का समय लगा। परियोजना की संकल्पना से लेकर पूर्ण होने तक की प्रक्रिया बहुत ही रोचक रही। इस कार्य को करने में बाकी सब कुछ बहुत अच्छा रहा लेकिन जो सबसे बड़ी बात है तो यह है कि यह एक समर्पण है अपने देश के प्रति, अपने खिलाड़ियों के प्रति भी जिन्होंने भारत देश का नाम रोशन किया है ।
 सबसे पहले इस परियोजना को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में  विधिवत रूप से अंकित कराया गया जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की ओर से CLAIM ID –  GBWR /Asia/21/in/0323 के तहत 31 मार्च 2021 को आधिकारिक रूप से अनुमति  प्रदान की गई। उसके बाद 133 अर्जुन पुरस्कार विजेताओं जो विभिन्न प्रकार के खेलों से संबंधित रहे हैं उनकी लिस्ट तैयार की गई। तत्पश्चात विभिन्न माध्यमों के द्वारा इन 133 अर्जुन पुरस्कार विजेताओं के नामों को देश के विभिन्न प्रख्यात कवियों ,लेखकों ,रचनाकारों, शिक्षाविदों,विद्यार्थियों आदि को प्रदान किया गया। इसके बाद इन सभी ने  लगभग 25 दिन की प्रक्रिया में अपना कार्य पूर्ण किया।
प्रतिभागियों को एक- एक  विषय लेने के लिए कहा गया और उस पर काव्य सृजन के लिए उन्हें आवश्यक नियमों की जानकारी भी प्रदान की कि आपको केवल 20 से 25 पंक्तियों में ही  अपनी रचना को सीमित रखना है।
 इसके बाद इन सभी ने  लगभग 25 दिन की प्रक्रिया में अपना कार्य पूर्ण किया।
यह काव्य संकलन पूर्णतया शोध पर आधारित है और इसमें देश विदेश के जिन रचनाकारों को सम्मिलित किया गया है वे इन खिलाड़ियों के जीवन को पूरा पढेंगे, उन्हें आत्मसात करेंगे तथा उसके बाद 20 से 25 पंक्तियों में उनके जीवन का सार प्रस्तुत करेंगे जो अपने आप में बहुत ही प्रेरणादायक होगा। यह काव्य संकलन पूरी तरह से खेलों पर आधारित है ।इसी के साथ- साथ वे भी खेलने के लिए प्रेरित हों ऐसी भावना के साथ इस पूरे प्रोजेक्ट पर काम किया गया है। जल्दी ही यह गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में  विश्व रिकॉर्ड बन जाएगा।
प्रभु की असीम अनुकंपा से एवं आप सभी की शुभकामनाओं के साथ हम जल्दी ही विश्व रिकॉर्ड  के अंतिम चरण की ओर पहुंच रहे हैं ।इसमें न केवल हमारे देश के प्रतिष्ठित साहित्यकार, शिक्षाविद आदि ही  सम्मिलित नही हैं अपितु इसी के साथ – साथ हमारे साथ हमारे विदेशों के प्रवासी साहित्यकार भी शामिल हुए हैं जिनमें कपिल कुमार बेल्जियम से , शालिनी वर्मा दोहा कतर से, डॉ रमा जापान से, डॉ सीमा भांति जी अमेरिका से, डॉ  शिप्रा शिल्पी जी जर्मनी से हैं।अब यदि यह कहा जाए कि यह काव्य संकलन अंतरराष्ट्रीय स्तर  का है तो कोई  अतिश्योक्ति नहीं होगी।
इसी के साथ ISRO से वरिष्ठ वैज्ञानिक और एडवोकेट भी हमारे इस काव्य संकलन में सम्मिलित हैं।
इस पुनीत कार्य मे हमारे साथ  SPAA (Sports Academy Association  of India ) सहयोग कर रहा है।SPAA भारत सरकार के MHRD मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त यह एक ऐसी संस्था है जो विभिन्न प्रकार के खेलों में जैसे कबड्डी ,बैडमिंटन कुश्ती, में  स्नातक, स्नातकोत्तर, मैनेजमेंट इत्यादि से संबंधित कोर्स करवाती है। यह संस्था  स्कूल लेवल से लेकर नेशनल लेवल तक  अवसर प्रदान करती है ।
IHRO के वर्ल्ड चेयरमैन डॉ नेम सिंह प्रेमी ने गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के इस कंसेप्ट को बहुत ही पसंद किया एवम अंतरराष्ट्रीय ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन  IHRO की तरफ से सभी प्रतिभागियों को Appriciation का ई सर्टिफिकेट प्रदान किया गया।
 यह कविता संकलन  अपने आप में अनोखा है क्योंकि सबसे पहले तो यह कविताएं हमारी राजभाषा हिंदी में ही प्राप्त की गई है। इन सभी ने इन खिलाड़ियों पर गहन शोध किया। उनके जीवन, उनके चरित्र ,उनके संघर्ष ,उनकी उपलब्धियों और जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में सारी जानकारी एकत्रित की। उसके बाद उन्होंने समग्रता से अधिकतम 25 पंक्तियों की इस  कविता में उनके जीवन का सार प्रस्तुत किया है। वास्तव में ही यह ‘गागर में सागर’ है कि आप 25 पंक्तियों में किसी का जीवन दर्शन प्रस्तुत कर पा रहे हैं।
अब यह कार्य अपने चरम पर है। विधिवत रूप से सारी प्रक्रिया को 03 मई 2021 को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के मंच पर प्रेषित कर दिया गया है जिसकी आधिकारिक अनुमति आगामी 10 दिनों के अंदर – अंदर प्राप्त हो जायेगी। इस पुनीत कार्य में उन्होंने अपने पति नीरज शर्मा व अपनी दोनों पुत्रियों  प्रतिष्ठा शर्मा, प्रज्ञा शर्मा द्वारा मिले आत्मिक सहयोग से यह संभव होना बताया। डॉक्टर विदुषी ने अगला लक्ष्य गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड  बताया ।गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के इस पूरी मुहिम में उन्होंने विशेष रुप से डॉ दिग्विजय शर्मा , यति शर्मा, आचार्य सुरेश शर्मा भारद्वाज,डॉ अरविंद कुमार उपाध्याय , एडवोकेट अनुराधा, प्रशांत अवस्थी और आदित्य प्रताप सिंह के द्वारा अपना अमूल्य योगदान और समय देने के लिए का धन्यवाद किया । इस प्रक्रिया में तेहन ने तकनीकी सहयोग दिया

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