इंदौर |
कोरोनाकाल में यात्रियों की कमी से लगातार ट्रेन और उड़ानों के निरस्त होने के बीच अब बस संचालकों ने भी इंदौर संभाग में चलने वाली 600 बसों के परमिट को सरेंडर कर दिया हैं। दरअसल, टैक्स बचाने के लिए बस संचालको ने यह कदम उठाया हैं।
कोरोना की दूसरी लहर में पहली बार की तरह शासन ने बसों के संचालन पर रोक तो नहीं लगाई है, लेकिन छूट के बावजूद यात्री न मिलने से ज्यादातर बसों का संचालन बंद है। जो बसें चल रही हैं, उन्हें भी यात्री नहीं मिल रहे हैं। बस संचालकों ने बंद बसों पर लगने वाले टैक्स से बचने के लिए 600 से ज्यादा बसों के परमिट दो माह के लिए सरेंडर कर दिए हैं। दो माह तक इन बसों का संचालन अब नहीं कियाजाएगा। स्थिति सुधरने पर ये बसें दोबारा शुरू हो सकती हैं।
प्राइम रुट आनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद शर्मा ने बताया कि मोटर व्हीकल एक्ट के नियमों के अंतर्गत बस संचालक फार्म ‘के” और ‘ओ” को जमा करते हुए बसों के परमिट तय अवधि के लिए सरेंडर कर सकते हैं। इससे इस अवधि के टैक्स के भार से बस संचालक बच जाते हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना के कारण लगे लाकडाउन में बसों को संचालन की छूट के बाद भी यात्री नहीं मिल रहे हैं। जिससे परेशानी हो रही है। सरकार ने किराया भी हमारी मांग के मुताबिक नहीं बढ़ाया है। इंदौर से करीब 800 बसों का संचालन होता है। इनमें से 600 से ज्यादा बंद हैं, जो बसें चल रही हैं, उन्हें भी यात्री नहीं मिल रहे हैं और बस संचालकों का खर्च तक नहीं निकल पा रहा है।