विदिशा | मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के एक सरकारी अस्पताल में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए 58 वर्षीय एक व्यक्ति को उसके असलियत में मरने से एक दिन पहले गलती से दो बार मृत घोषित किया गया। मृतक गोरालाल कोरी के परिजनों ने यह जानकारी दी है। अस्पताल प्रबंधन ने इसके लिए एक नर्स को जिम्मेदार ठहराया है, जिसने गलतफहमी में यह जानकारी दी। लेकिन, कहा कि दो बार यह गलती नहीं हुई, बल्कि केवल एक ही बार गलती से उसकी मृत्यु की जानकारी दी गई थी। गोरालाल कोरी के बेटे कैलाश ने शनिवार को बताया कि संक्रमण के लक्षण दिखने के बाद उसके पिताजी को 12 अप्रैल को अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने कहा, 12 अप्रैल रात करीब ढाई बजे अस्पताल प्रबंधन ने फोन पर बताया कि मेरे पिताजी गंभीर हालत में हैं और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा जा रहा है।
कैलाश ने कहा, 13 अप्रैल को दोपहर करीब तीन बजे मुझे फिर फोन आया कि मेरे पिताजी बहुत गंभीर हो गये हैं। जब मैं अस्पताल पहुंचा तो एक नर्स ने मुझे बताया कि वे उसे नहीं बचा सके। उन्होंने कहा, कुछ ही क्षण बाद एक अन्य नर्स आई और उसने कहा कि मेरे पिताजी की सांसे थम रही हैं। वहीं, कैलाश के परिजन ने बताया कि शाम करीब पांच बजे उसे बताया गया कि उसे सांस लेने के लिए ट्रेकियोस्टोमी की जरूरत है।
अस्पताल नहीं दे रहा था शव
कैलाश ने कहा कि अप्रैल 13 को साढ़े आठ बजे शाम को हमें फिर से फोन आया कि वह गले में किये जा रहे एक आपरेशन के दौरान मर गये हैं। जब हम अस्पताल पहुंचे तो अस्पताल प्रबंधन ने हमें कहा कि वे हमें शव नहीं दे सकते, क्योंकि वह कोरोना वायरस संक्रमित थे। उन्होंने कहा, 14 अप्रैल को मैं और मेरा भाई अस्पताल गये और परिवार के अन्य सदस्यों को कहा कि वे श्मशान घाट में अंतिम संस्कार करने के लिए आयें।
पिता की जगह किसी और का दिखा दिया शव
कैलाश ने बताया, उन्होंने हमें मृत्यु प्रमाणपत्र दिया लेकिन मेरे भाई ने कहा कि वह अपने पिताजी के शव को देखना चाहते हैं। जब उन्होंने शव दिखाया तो वह मेरे पिताजी का नहीं था। उन्होंने कहा, इसके बाद मेरा भाई एक वार्ड में गया और वहां पिताजी को वेंटिलेकर सपोर्ट पर पाया। उसने अस्पताल प्रबंधन से इसकी शिकायत की। कैलाश ने कहा कि इसके बाद उन्होंने हमें दिया हुआ मृत्यु प्रमाणपत्र वापस ले लिया। इसके बाद हम अपने घर चले गए, क्योंकि कोरोना वार्ड में किसी अन्य को नहीं जाने दिया जाता है। उन्होंने कहा इसके बाद 14 अप्रैल को ही करीब पौने आठ बजे हमें फिर से एक फोन आया और कहा कि पिताजी की मृत्यु को गई है। उनका अंतिम संस्कार गुरुवार को कर दिया गया।
घटना पर क्या बोले डॉक्टर
इस प्रकार की बड़ी गलती के बारे में पूछे जाने पर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. सुनील नंदेश्वर ने बताया, जब हम वेंटिलेटर पर गोरालाल को रख रहे थे, तब उसकी हार्ट बीट रूक गई थी। हमने उसकी हार्ट बीट फिर से चालू कर दी थी। लेकिन, नर्स को लगा कि वह मर गया है और उससे गलत जानकारी दे दी। उन्होंने कहा, केवल एक ही बार इस परिवार को बताया गया कि उसकी मृत्यु हो गई है। नंदेश्वर ने कहा कि गोरालाल कोरोना वायरस से संक्रमित था। उन्होंने कहा कि मरीज के परिजनों द्वारा इस मामले को बहुत बढ़ा चढ़ाकर बताया जा रहा है।