ब्रिटिश प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन 3 ट्रिलियन पौंड अर्थव्यवस्था बनाने के लिए धीरे-धीरे प्रयास शुरू कर दिए हैं। कोरोना के नए स्ट्रेन के कारण लगाए गए लॉकडाउन से बाहर निकलने की कोशिश करेंगे। इसके तहत दुनिया में सबसे तेज टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है। ब्रिटेन की 3 ट्रिलियन पौंड वाल अर्थव्यवस्था के लिए 300 से अधिक वर्षों में सबसे बड़ी दुर्घटना साबित हुई है।
देश में तेज टीकाकरण की शुरुआत की गई है। कोरोना के कारण राष्ट्रीय स्तर पर लागू गत दो महीने से लागू लॉकडाउन ब्रिटेन के लिए काफी कठिन रहे। बोरिस जॉनसन अब इंग्लैंड में प्रतिबंधों को खोलने की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से लागू कर सकते हैं। इसमें बच्चों की स्कूल वापसी और घर से बाहर सामाजिक एक दूसरे से मिलने की प्राथमिकता होगी।
प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के कार्यालय ने सोमवार को कहा कि इंग्लैंड में लॉकडाउन को वापस लेने के उपाय 8 मार्च को वापस शुरू किए जाएंगे। जिन मानदंडों में जीवन में आसानी हो रही है, उन्हें जल्द पूरा किया जा रहा है। जॉनसन ने कहा कि बच्चों की स्कूल में वापसी प्राथमिकता होगी।
उनके आफिस के अनुसार, उन्होंने कहा कि हमारे फैसले हर कदम पर नवीनतम आंकड़ों के आधार पर किए जाएंगे। हम इस दृष्टिकोण के बारे में सतर्क रहेंगे ताकि हम अब तक हासिल की गई प्रगति में पूर्व में की गई गलती को दोहराएं।
जॉनसन की योजना के अनुसार सांसदों को संसद में वोट करने का मौका मिलेगा। स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड के अधिकारियों, जिनके पास अपने स्वयं के सार्वजनिक स्वास्थ्य फैसले लेने की जिम्मेदारी है, आने वाले महीनों में प्रतिबंधों को कम करने की उम्मीद है।
विदेश मंत्री मैट हैनकॉक ने कहा है कि अपेक्षा से अधिक तेजी से चल रहे टीकाकरण से ना केवल संक्रमण में कमी आई बल्कि कोरोना से संक्रमित होने वालों से अस्पतालों पर भी बोझ घटा है।
हैनकॉक ने कहा कि पूरे ब्रिटेन में दक्षिणी अफ्रीकी वैरिएंट से संक्रमण के तीन सौ मामले दर्ज किए गए हैं। इंग्लैंड ने संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए विदेश से आने वाले लोगों के लिए होटल क्वारंटीन का नियम भी लागू किया है।
उधर, ब्रिटिश सरकार ने कहा कि जुलाई तक सभी बालिग व्यक्तियों का टीकाकरण कर दिया जाएगा, जबकि 15 अप्रैल तक पचास वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लगा दी जाएगी। बता दें कि ब्रिटेन कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित होने वाला पांचवां देश है। यहां अभी तक एक लाख 20 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।