इस सावन में अधिकांश लोग सोमवार को ही धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण दिन मानते हैं । लेकिन हम आपको बताना चाहेंगे सावन में जितना महत्वपूर्ण सोमवार का है उतना ही मंगलवार दिन का भी है । सावन में मंगलवार का दिन मंगला गौरी व्रत के लिए भी जाना जाता है । जिस प्रकार से भगवान शिव को सावन महीने का सोमवार अतिप्रिय होता है उसी प्रकार माता पार्वती को सावन मंगलवार का दिन बहुत ही प्रिय होता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं देवी पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं । कल यानी 28 जुलाई को सावन के आखिरी मंगलवार को महिलाएं मां गौरी का आखिरी व्रत रखेंगी । आपको बता दें इससे पहले 7,14, 21 और 28 तारीख को ये व्रत किया गया था। इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन की हर समस्या दूर हो सकती है। खासतौर से अगर मंगल दोष समस्या हो तो इस दिन की पूजा बहुत ही फायदेमंद होती है। पति की लंबी उम्र के लिए भी ये व्रत रखा जाता है। सुहागिन महिलाओं के अलावा ये व्रत कुंवारी लड़कियां भी करती हैं। माना जाता है कि इससे अच्छा पति मिलता है। अविवाहित महिलाओं के मंगला गौरी व्रत करने से विवाह में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं।
ऐसी मान्यता है मंगला गौरी व्रत रखने से घर के क्लेश भी खत्म हो जाते हैं–
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिस प्रकार माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या किया था, उसी प्रकार महिलाएं यह व्रत करके अपने जीवनसाथी की लंबी आयु के लिए माता से आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। इस व्रत के करने से वैवाहिक जीवन के क्लेश भी दूर होते हैं, आपको सोमवार व्रत के साथ मंगला गौरी का भी व्रत रखना होगा। सुहागिन महिलाओं को घर में विवाहित स्त्रियों को प्रसाद देना चाहिए और पूजा में अर्पित वस्तुओं को दान कर देना चाहिए। मंगला गौरी व्रत करने वाली महिलाओं को हर मंगलवार को ऐसा ही करना चाहिए। चौथे मंगलवार को व्रत एवं पूजा के अगले दिन मां पार्वती की मूर्ति को विधि पूर्वक विसर्जित कर देना चाहिए। गौरी यानि माता पार्वती को समर्पित यह व्रत कई मनोरथ पूरे करता है। मंगला गौरी पूजन में सुहाग के समान और 16 वस्तुओं का महत्व होता है।
सुहागन स्त्री या कुंवारी कन्याओं के लिए यह व्रत फलदाई रहता है-
माता गौरी का व्रत सुहागिन महिलाएं या कुंवारी कन्याएं दोनों के लिए फलदाई होता है । मंगला गौरी व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही शुभ और सौभाग्यशाली व्रत माना गया है। ऐसे में जो महिलाएं माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए इस व्रत को रखना चाहती हैं वे सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि क्रिया करके स्वच्छ वस्त्र पहने। इसके बाद पूजा स्थल पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर को लाल रंग के कपड़े के ऊपर रखकर पूजा का संकल्प लें । पूजा में माता को सुहाग की सारी पूजा सामग्रियों को चढ़ाएं और विधिवत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करें। मंगला गौरी व्रत रखने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य, दांपत्य सुखी जीवन और संतान सुख का फल प्राप्त होता है। वहीं जिन कन्याओं के विवाह में कोई अड़चन आती है वह इस व्रत को रख सकती हैं । हम आपको बता दें कि विवाह की बाधा दूर करने, वैवाहिक जीवन में खुशहाली, पुत्र की प्राप्ति व सौभाग्य के लिए यह व्रत श्रेष्ठ है । यह पांच सालों तक किया जाता है ।