प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख में बौद्ध अध्ययन पर एक केंद्र के साथ पहले केंद्रीय विश्वविद्यालय की योजना को हरी झंडी दे दी है। ये फैसला उस संसदीय अधिनियमन की पहली वर्षगांठ से ठीक 15 दिन पहले लिया गया है जिसके तहत लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया था। प्रस्तावित केंद्रीय विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग और मेडिकल को छोड़कर लिबरल आर्ट और बुनियादी विज्ञान जैसे सभी पाठ्यक्रमों में डिग्री प्रदान करेगा।
पीएम मोदी ने मंजूरी सोमवार को बुलाई गई बैठक में लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेशों में पिछले एक साल में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा करने और अगले कुछ महीनों में केंद्र की प्राथमिकताओं को रेखांकित करने के दौरान दी। ताकि इस फैसले से यहां के लोगों के जीवन में सुधार आए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और सभी शीर्ष अधिकारी इस बैठक में शामिल हुए।
गौरतलब है कि पिछले साल 5 अगस्त को बीजेपी की अगुवाई वाली केन्द्र सरकार ने राष्ट्रपति के आदेश के बाद जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाने की घोषणा की। इसके साथ ही लद्दाख को जम्मू कश्मीर से अलग कर दोनों को अलग केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया। लद्दाख को बिना विधानसभा वाला जबकि जम्मू कश्मीर को विधानसभा वाला केन्द्र शासित राज्य प्रदेश बनाया गया। होम मिनिस्टर अमित शाह की की तरफ से य ह कहा गया कि काफी समय से वहां के लोगों की मांग थी कि इसे अलग केंद्र शासित प्रदेश की मान्यता मिले, ताकि यहां रहने वाले लोग अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकें।
साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, करगिल की कुल जनसंख्या 140,802 है, जिनमें से 76.87% आबादी मुस्लिम (ज्यादातर शिया) है। जबकि, लेह की कुल जनसंख्या 133,487 है। इसमें से 66.40% बौद्ध हैं। इस हिसाब से लद्दाख की कुल जन संख्या 2,74,289 लाख है। लद्दाख क्षेत्र की आबादी लेह और करगिल जिलों के बीच आधे हिस्से में विभाजित है। 1947 के भारत-पाक युद्ध के बाद सिन्धु का मात्र यही हिस्सा लद्दाख से बहता है।