सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बसपा प्रमुख मायावती को प्रतिमाओं पर खर्च जनता का पैसा लौटाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। लखनऊ और नोएडा में मायावती और उनकी पार्टी के चिह्न हाथी की प्रतिमाएं बनवाई गई थीं। एक वकील ने इसके खिलाफ याचिका दायर की थी। याचिका में मांग की गई कि नेताओं द्वारा अपनी और पार्टी के चिह्न की प्रतिमाएं बनाने पर जनता का पैसा खर्च न करने के निर्देश दिए जाएं।
- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने कहा कि हमारा फिलहाल यह अस्थायी मत है कि मायावती को इन प्रतिमाओं पर खर्च हुई राशि सरकारी कोष में जमा करानी होगी। विस्तृत सुनवाई 2 अप्रैल को होगी।
- मूर्तियां बनवाने की परियोजना पर 1400 करोड़ खर्च हुए थे2007 से 2011 के बीच उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने लखनऊ और नोएडा में दो पार्क बनवाए थे। इन पार्कों में मायावती ने अपनी, संविधान के संस्थापक भीमराव अंबेडकर, बसपा के संस्थापक कांशीराम और पार्टी के चिह्न हाथी की कई प्रतिमाएं बनवाई थीं।
- इस परियोजना की लागत 1,400 करोड़ रुपए से ज्यादा थी। हाथी की पत्थर की 30 मूर्तियां और कांसे की 22 प्रतिमाएं लगवाई गईं थीं। इस पर 685 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस पर सरकारी खजाने को 111 करोड़ रुपए का नुकसान होने का मामला दर्ज किया था।
एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया- अभी यह हमारा अस्थायी मत है, विस्तृत सुनवाई 2 अप्रैल को होगी