केन्द्र ने भावंतर के भंवर में उलझाया मप्र के किसानों को

भोपाल । केन्द सरकार ने प्रदेश के किसानों को भावांतर की राशि में एकेसा उलझाया है कि कमलनाथ सरकार के सामने भारी मुश्किल खड़ी हो गई है। दरअसल केन्द्र सरकार से  राज्य सरकार द्वारा बार -बार इस योजना के तहत बकाया एक हजार करोड़ की राशि मांगी जा रही है, इसके बाद भी केन्द्र यह राशि नहीं दे रहा है। उधर किसान लगातार इस बकाया राशि के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं। गौरतलब है कि पिछली भाजपा सरकार के समय भावंतर योजना के तहत किसानों को नुकसान की स्थिति में अतिरिक्त राशि प्रदान करती थी। इस योजना की शुरुआत भाजपा शासन के दौरान ही की गई थी। योजना शुरु होते ही विवादों में गई थी , नतीजतन इसमें बार-बार संसोधन किया गया। नवंबर २०१८ में विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में सरकार बदल गई। सरकार बदलने के बाद से ही किसानों को भावांतर योजना के तहत होने वाला भुगतान नहीं हो सका है। इसका खुलासा भी कृषि विभाग के जांच के दौरान हुआ। इस मद के तहत केन्द्र से बार-बार वकाया राशि की मांग के बाद भी अब तक कोई राशि नहीं मिल सकी है। केंद्र सरकार ने इस योजना में राशि देने से इंकार कर दिया है। अब कमलनाथ सरकार इस राशि के भुगतान को लेकर परेशान है। भावांतर योजना में सोयाबीन, मूंगफली, तिल, रामतिल, मक्का, मूंग, उड़द, तुअर और बाद में लहसुन को शामिल किया गया।
केंद्र को पसंद आई थी ये योजना
मप्र की भावांतर योजना केंद्र सरकार को भी पसंद आई थी। इसलिए बाद में में केंद्र सरकार ने प्रदेश की भावांतर योजना को अपग्रेड कर अपनाया था। लेकिन इसके भुगतान में केंद्र सरकार ने को दिलचस्पी नहीं दिखाई। 
सोयाबीन  का सबसे ज्यादा बकाया
प्रदेश में सोयाबीन और उड़द की फसल का सबसे अधिक पैसा भावांतर में अटका हुआ है। इसके बाद दूसरी फसलों की राशि है। पिछली सरकार के समय भावंतर योजना में सोयाबीन, मूंगफली, तिल, रामतिल, मक्का, मूंग, उड़द, तुअर और बाद में लहसुन को शामिल है।
केंद्र भेजा जाएगा दल 
कें्रद से बकाया राशि का भुगतान कराने  को लेकर कृषि विभाग का एक दल दिल्ली जाएगा। फिलहाल पत्र ब्यावहार के जरिए केंद्र से भावांतर, पीएम फसल बीमा और अन्य बकाया राशि की मांग की जा रही है। लेकिन यदि फिर भी राशि नहीं मिलती है, तो कृषि मंत्री सचिन यादव और अफसरों का दल भी दिल्ली जाकर इस राशि की मांग करेगा।

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