ऋषि कुमार शुक्ला को सीबीआई निदेशक नियुक्त किए जाने की पृष्ठभूमि में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को जांच एजेंसी के प्रमुख के चयन में पहले से तय मापदंडों को पालन नहीं किए जाने का आरोप लगाया और दावा किया कि ऐसा करना ‘दिल्ली विशेष पुलिस संस्थापना’ (डीएसपीई) कानून तथा उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगुवाई वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति की एक फरवरी की बैठक के संदर्भ में अपने असहमति पत्र में कहा है कि समिति ने सहमति जताई थी कि पैनल में नामों के शामिल करने के लिए वरिष्ठता क्रम, एसीआर (वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट) और भ्रष्टाचार विरोधी जांच का कम से कम 100 महीने के अनुभव तीन प्रमुख आधार बनाए गए थे, लेकिन इनका पालन नहीं हुआ। खड़गे भी इस समिति के सदस्य हैं। उन्होंने अपना असहमति पत्र शनिवार दोपहर प्रधानमंत्री के पास भेजा है। उन्होंने उच्चतम न्यायालय के ‘विनीत नारायण मामले’ से जुड़े आदेश भी हवाला दिया जिसमें इन तीन बिंदुओं पर जोर दिया गया था। खड़गे ने शुक्ला और पैनल में शामिल कुछ अन्य अधिकारियों का हवाला देते हुए कहा कि भ्रष्टाचार विरोधी जांच का अनुभव नहीं रखने वाले अधिकारियों को पैनल में शामिल करके डीएसपीई कानून और न्यायालय के आदेश का उल्लंघन किया गया है।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश पुलिस के पूर्व प्रमुख ऋषि कुमार शुक्ला को दो साल के तय कार्यकाल के लिये शनिवार को केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का निदेशक नियुक्त किया गया है। मध्य प्रदेश कैडर के 1983 बैच के आईपीएस अधिकारी शुक्ला फिलहाल भोपाल में मध्य प्रदेश पुलिस आवास निगम के अध्यक्ष हैं। वह आलोक वर्मा का स्थान लेंगे, जिन्हें 10 जनवरी को सीबीआई निदेशक के पद से हटा दिया गया था। शुक्ला का हाल में मध्य प्रदेश पुलिस महानिदेशक पद से पुलिस आवास निगम में तबादला हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली चयन समिति की 24 जनवरी और एक फरवरी को हुई दो बैठकों के बाद उनकी नियुक्ति हुई है।