
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की शुरुआत हो चुकी है और इस महीने में महाशिवरात्रि के बाद दूसरा बड़ा त्योहार होली है, लेकिन रंगों के इस त्योहार से पहले वो अशुभ 8 दिन मनाए जाते हैं जिन्हें होलाष्टक के नाम से जाना जाता है। होलाष्टक के इन 8 दिनों में शुभ कार्यों की मनाही होती है और सिर्फ धार्मिक कार्यों की ही अनुमति होती है। होलाष्टक के दौरान इससे जुड़े नियमों का पालन करना भी जरूरी माना जाता है। ऐसे में आइए ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से जानते हैं कि इस साल होलाष्टक कब से शुरू हो रहे हैं और इन 8 दिनों में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
होलाष्टक 2025 कब से शुरू हो रहा है?
पंचांग के अनुसार होलाष्टक 7 मार्च, शुक्रवार से शुरू हो रहे हैं। वहीं, होली से ठीक एक दिन पहले यानी 13 मार्च, गुरुवार को होलिका दहन के दिन इसका समापन होगा।
होलाष्टक में क्या करना चाहिए?
होलाष्टक के दौरान विष्णु सहस्रनाम का जाप करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में समृद्धि, सुख और शांति आती है।
हनुमान चालीसा का जाप करना भी इन 8 दिनों में विशेष लाभकारी माना जाता है। इससे व्यक्ति को मानसिक शांति, संकटों से मुक्ति और हनुमान जी की कृपा से बल और पराक्रम की प्राप्ति होती है।
होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि होलाष्टक के इन 8 दिनों में शिव के इस मंत्र का जाप करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।
होलाष्टक के दौरान जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करने से पुण्य और शुभ फल की प्राप्ति होती है। यह दान व्यक्ति के कर्मों को शुद्ध और सकारात्मक बनाने का काम करता है।
होलाष्टक में क्या नहीं करना चाहिए?
होलाष्टक की अवधि को शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है। ऐसे में इस अवधि में विवाह, नामकरण संस्कार, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं करने चाहिए, अन्यथा कार्य पूरे नहीं होते हैं।
होलाष्टक के दौरान व्यक्ति को अधिक क्रोध नहीं करना चाहिए और किसी भी तरह के विवाद में पड़ने से बचना चाहिए क्योंकि इन दिनों में व्यक्ति पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव रहता है। होलाष्टक की अवधि में नया घर बनवाना, दुकान खोलना या नया व्यवसाय शुरू करना बहुत खतरनाक माना जाता है, इससे लाभ मिलने की बजाय हानि होती है और धन की हानि भी हो सकती है।