
देशभर में आज महाशिवरात्रि की धूम मची हुई है. आज भूतभावन भगवान महादेव दूल्हा बनेंगे. श्रद्धालु आज गौरा मइया संग महादेव के ब्याह के साक्षी बनेंगे. महाशिवरात्रि पर्व के मद्देनजर सुबह से शिवालयों में लंबी कतारें लगी हुई है. मंदिरों में पूजा-अर्चना का क्रम शुरू हो चुका है. इसी कड़ी में काशी नरेश बाबा विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ है. महाशिवरात्रि पर आज मंगला आरती में बाबा का विशेष श्रृंगार किया गया. बाबा को पगड़ी पहनाई गई. मंगला आरती के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे.
बता दें कि काशी में भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की रस्में पहले ही शुरू हो गई थी. सोमवार को ही हल्दी की विधि पूरी की गई. जिसमें बाबा को मेवाड़ से लाई गई हल्दी लगाई गई. महिलाओं ने बाबा भोलेनाथ के विवाह के पहले हल्दी लगाई. महिलाओं ने शिव भजन और मंगल गीत गाए. इनमें शिव और पार्वती के दांपत्य जीवन की मंगल कामना की गई. बाबा को खास बनारसी ठंडई, पान और पंचमेवा का भोग लगाया गया. अब आज काशी के अधिपति दूल्हा बनेंगे.
काशी में उमंग और उत्साह
महाशिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ से जुड़ी लोकपरंपरा का निर्वाह इस वर्ष श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़ा के नागा साधुओं एवं महात्माओं की ओर से किया गया. श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़ा की ओर से बाबा के लिए महाराणा प्रताप की धरती मेवाड़ से ये हल्दी मंगाई गई. रस्मों के दौरान नंदी, शृंगी, भृंगी आदि गणों ने नाच-नाच कर सारा काम किया. तो वहीं दूसरी ओर भगवान शिव का सेहरा और पार्वती की मौरी कैसे तैयार की जा रही है. हल्दी की रस्म के बाद नजर उतारने के लिए ‘साठी क चाऊर चूमिय चूमिय..’ गीत गाकर महिलाओं ने भगवान शिव की रजत मूर्ति को चावल से चूमा. बाबा के तेल-हल्दी की रस्म दिवंगत महंत डॉ. कुलपति तिवारी की पत्नी मोहिनी देवी के सानिध्य में हुई. पूजन अर्चन का विधान पं. वाचस्पति तिवारी ने किया.