
इंदौर नगर निगम ने शहर के करीब 15 सरकारी स्कूलों का सुधार करने का जिम्मा लिया था. इसके लिए 69 टेंडर भी निकाले गए थे. लेकिन, इन स्कूलों में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. कुछ स्कूलों में शौचालय की व्यवस्था ठीक कर दी गई है, लेकिन जर्जर इमारतों की मरम्मत का काम कई सालों से अटका हुआ है. इन स्कूलों की इमारतें बहुत पुरानी हैं, और कई स्कूलों में कमरे भी कम हैं जबकि छात्र ज्यादा हैं. इन जर्जर इमारतों में हादसे होने का खतरा भी रहता है. लगभग 10 करोड़ रुपये की लागत से इन स्कूलों का काम पूरा होना था, लेकिन अभी तक इस पर कोई खास काम नहीं हुआ है.
बारिश में मौसम में होती है दिक्कत
जब इन स्कूलों का जायजा लिया. छात्रों, प्राचार्य और पार्षद से बातचीत की. विद्यार्थियों ने बताया कि उनकी क्लास में टीन शेड है और बरसात के मौसम में बहुत दिक्कत होती है. कई बार छत से पानी गिरता है और बच्चों की किताबें गीली हो जाती हैं. उन्हें अपनी बेंच भी एडजस्ट कर के बैठनी पड़ती है. बच्चों का कहना है कि अगर प्रशासन जल्दी काम करे तो समस्याएं कम हो सकती हैं और पढ़ाई में भी मन लगेगा.
क्या बोले स्कूल स्टाफ ?
प्राचार्य विभा शर्मा ने बताया कि नयापीठा में लगभग 400 बच्चे पढ़ रहे हैं. इस स्कूल को मॉडल बिल्डिंग के रूप में स्वीकृति मिली थी, लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हुआ है. हालांकि, एक महीने पहले तीन नए शौचालय बनवाए गए थे. 26 जनवरी के कार्यक्रम में विधायक ने काम करवाने का वादा किया था. जब काम शुरू होगा तो बच्चों की पढ़ाई पर असर न पड़े इसके लिए कुछ बच्चों को आंगनबाड़ी भेजा जाएगा और बाकी को स्कूल के दूसरे हिस्से में बैठाया जाएगा.
क्षेत्रीय पार्षद अयाज बेग ने कहा कि इस स्कूल में बहुत काम हो चुका है और नया उर्दू स्कूल भी जल्द शुरू होगा. 60 साल पुरानी बिल्डिंग का काम जल्दी ही पूरा किया जाएगा.