
मध्य प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन के कचरे को जलाने के खिलाफ प्रदर्शन उग्र हो गया है. प्रदर्शन के दौरान गुस्साई भीड़ ने बस स्टैंड क्षेत्र को आधे घंटे तक ब्लॉक कर दिया. इसी दौरान कथित तौर पर दो युवकों ने आत्मदाह की कोशिश भी की जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. दूसरी तरफ सरकार ने एक बार फिर लोगों को समझाया है कि इस कचरे से किसी को कोई खतरा नहीं है. इसे फिलहाल जलाया नहीं गया है केवल डंप किया गया है. खुद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने लोगों से अपील की है कि इस कचरे को लेकर गलतफहमी में न फंसे.

दो युवकों ने की आत्मदाह की कोशिश
भोपाल के यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के विरोध में आज यानी 3 जनवरी को पीथमपुर में उग्र विरोध प्रदर्शन हुआ. सुबह से ही अलग-अलग संगठनों ने शहर बंद बुलाया था. जिसके मद्देनजर प्रशासन ने पूरे शहर को छावनी में तब्दील कर दिया था. आंदोलनकारियों ने रामकी एनवायरो इंडस्ट्रीज (जहां कचरा रखा गया है) की ओर जाने की कोशिश की तो पुलिस ने बैरिकेडिंग लगा कर उन्हें रोक दिया. दूसरी तरफ पीथमपुर के मुख्य चौराहे पर प्रदर्शनारियों ने जमकर प्रदर्शन किया. इसी दौरान आंदोलनकारियों में शामिल राजकुमार रघुवंशी ने अपने ऊपर पेट्रोल छिड़क लिया और आत्मदाह की कोशिश करने लगे. तभी भीड़ में किसी ने तीली सुलगा दी. जिससे वे आग की चपेट में आ गए. इस आग की चपेट में उनके साथ खड़े राज पटेल नाम का शख्स भी आ गया. इसके बाद आनन-फानन में आग को बुझाया गया. पुलिस ने दोनों घायलों को इंदौर में चोइथराम अस्पताल के बर्न यूनिट में भर्ती कराया है.

पीथमपुर में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों को समझाने के लिए मौके पर खुद जिले के SP और कलेक्टर पहुंचे. दोनों आला अधिकारी पूरे सुरक्षा इंतजामों के साथ पहुंचे थे.
प्रदर्शन में बीजेपी-कांग्रेस के नेता भी शामिल
प्रदर्शन के दौरान पूरे समय आला अधिकारी पुलिस अधिकारी मौके पर तैनात रहे और प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश की. खुद एसपी धार मनोज सिंह और कलेक्टर प्रियांक मिश्र ने लोगों को समझाया कि वे उनकी बात ही सुनने आए हैं. उनकी बात सुने बिना नहीं जाएंगे. सरकार किसी भी नागरिक का जीवन संकट में नहीं डालेगी. लेकिन भीड़ मानने को तैयार नहीं हुई. जिसके बाद पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर भीड़ को तितर-बितर किया. बताया जा रहा है कि विरोध प्रदर्शन करने वालों में स्थानीय लोगों के साथ बीजेपी-कांग्रेस के नेता भी शामिल हैं. दूसरी तरफ पीथमपुर में महिलाएं अपनी चूड़ियां उतारकर इकट्ठा करती दिखाई दीं. उनका प्लान इसे अपने जनप्रतिनिधियों को भेजने का है.
मुख्यमंत्री ने कहा- कोर्ट के आदेश का पालन कर रहे हैं
इन सबके बीच खुद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने भोपाल में मोर्चा संभाला. उन्होंने कहा- मैं आप सबसे विनम्र आग्रह करता हूं कि सरकार अपने राज्य में किसी भी नागरिक के जीवन में कोई भी कष्ट नहीं आने देगी. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देश के मुताबिक यूनियन कार्बाइड के कचरे का निष्पादन करना ही होगा. जहां कचरे का निष्पादन किए जाने को हमसे कहा गया है वो भी एक फैक्ट्री ही है. इस फैक्ट्री को सुप्रीम कोर्ट ने निष्पादन के योग्य माना है.
मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की है वे समाज में गलतफहमी फैलाने वालों से बचें. उन्होंने कहा कि सरकार पूरी तरह से गंभीर होकर वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में ही यूनियन कार्बाइड के कचरे का निष्पादन करेगी.
किसी भी हालत में किसी भी शख्स के जीवन पर कोई भी संकट नहीं आने देगी. सीएम ने कहा कि वैसे भी अभी केवल कचरा डंप किया गया है उसे तुरंत जलाने का अभी निर्णय नहीं लिया गया है.
हर हाल में कचरा हटाना ही होगा
दूसरी तरफ स्थानीय लोगों का कहना है सरकार को हर हाल में कचरा हटाना ही होगा. पीथमपुर बचाओ समिति के अध्यक्ष डॉ हेमंत हीरोले ने आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश सरकार ने अदालत की अवमानना की है. उनके मुताबिक कोर्ट ने कहा था यूनियन कार्बाइड का कचरा भोपाल से हटाया जाए और ऐसी जगह पर जलाया जाए जहां जनहानि न हो. अभी जहां इस फैक्ट्री का कचरा लाया गया है वहां सरकार ने कोई मेडिकल इंतजाम नहीं किए हैं. न तो यहां मरीजों का इलाज होता है और न ही कोई मेडिकल व्यवस्था ही है.
कई बड़े नाम कर चुके हैं विरोध
इससे पहले साल 2012 में ही भोपाल में कैबिनेट मंत्रियों की बैठक के दौरान, पूर्व मुख्यमंत्री और तत्कालीन गैस राहत मंत्री बाबूलाल गौर और पूर्व पर्यावरण मंत्री जयंत मलैया ने पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने का कड़ा विरोध किया था. उस समय केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी.
मलैया ने यशवंत सागर बांध के संभावित प्रदूषण और तारपुरा गांव को लेकर फिक्र जताई थी. उसी दौरान गैस राहत आयुक्त मुकेश वार्ष्णेय ने तारपुरा गांव के निवासियों को हटाने के लिए अदालत में एक याचिका भी दायर की.
उन्होंने तब ये कहा था कि उनके जीवन को खतरे का सामना करना पड़ेगा. इसके अलावा 2012 में, जर्मन कंपनी GIZ ने 346 MT यूनियन कार्बाइड कचरे को हैम्बर्ग, जर्मनी में जलाने के लिए ₹25 करोड़ की पेशकश की थी। आज इसे लगभग 5 गुना रकम यानी, ₹126 करोड़ खर्च कर जलाया जा रहा है. वो भी ऐसे इन्सिनरेटर में जहां किए गए परीक्षणों में से छह में असफल रहे हैं. दूसरे राज्यों ने भी अपने यहां कचरा जलाने से मना कर दिया था.

2004 से 2018 तक, जहरीले कचरे ने यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के आसपास के 42 बस्तियों के भूजल को जहरीला बना दिया, सुप्रीम कोर्ट ने इसे माना और प्रभावित इलाके में साफ पानी देने का आदेश दिया, लेकिन पिछले 5 सालों में ये जहर 29 और बस्तियों में फैल गया. 2014 में, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने जहरीले कचरे का आंकलन करने की पेशकश की थी, लेकिन सरकार ने इसे अनसुना कर दिया. बहरहाल कुल मिलाकर बात ये है कि यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जो 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा पीथमपुर पहुंचा है वो पूरे कचरे का महज 10 फीसदी है. सरकार कह रही है कि इससे कोई खतरा नहीं लेकिन एक्सपर्ट्स इस तर्क से सहमत नहीं हैं.