नई दिल्ली: शिवसेना नेता संजय राउत ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ पर रविवार को जमकर निशाना साधा। राउत ने आरोप लगाया कि उन्होंने महाराष्ट्र में दल-बदल करने वाले नेताओं के मन से कानून का डर खत्म कर दिया था। राउत ने दावा किया कि अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय नहीं करके चंद्रचूड़ ने दलबदल के लिए दरवाजे और खिड़कियां खुली रखीं। शिवसेना (यूपीटी) के नेता राउत का यह बयान राज्य विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी की करारी हार के बाद आया है, जहां महा विकास आघाडी (MVA) के तहत उसने 95 सीट पर चुनाव लड़ा था लेकिन केवल 20 सीट पर ही जीत हासिल कर सकी। एमवीए के अन्य गठबंधन सहयोगियों का प्रदर्शन भी कुछ बेहतर नहीं रहा। कांग्रेस ने 101 में से केवल 16 सीट जीतीं और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ने 86 सीट में से केवल 10 सीट जीतीं।
संजय राउत ने पत्रकारों के साथ बातचीत में आरोप लगाया, ‘चंद्रचूड़ ने दलबदलुओं के मन से कानून का डर खत्म कर दिया। उनका नाम इतिहास में काले अक्षरों में लिखा जाएगा।’ वर्ष 2022 में अविभाजित शिवसेना में विभाजन के बाद, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले पार्टी के गुट ने एकनाथ शिंदे के साथ दलबदल करने वाले पार्टी विधायकों की अयोग्यता पर उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की। एससी ने अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने का दायित्व विधानसभा अध्यक्ष पर छोड़ था। विधानसभा अध्यक्ष ने शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को ‘असली राजनीतिक दल’ घोषित किया था। राउत ने आरोप लगाया कि विधानसभा चुनाव के नतीजे पहले से तय थे। उन्होंने कहा कि अगर तत्कालीन पूर्व न्यायाधीश ने अयोग्यता याचिकाओं पर समय पर फैसला किया होता, तो परिणाम अलग होते।
ICU में हैं अदालतें, बोले संजय राउत
संजय राउत ने कहा, ‘हम दुखी हैं, लेकिन निराश नहीं हैं। हम लड़ाई को अधूरा नहीं छोड़ेंगे। मतों का विभाजन भी एक कारक था और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जहरीले अभियान ने हम पर नकारात्मक प्रभाव डाला।’ राउत ने कहा कि नई सरकार का शपथग्रहण समारोह पड़ोसी गुजरात में होना चाहिए। इस बीच, पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में अपने साप्ताहिक स्तंभ ‘रोखठोक’ में शिवसेना नेता राउत ने दावा किया कि निर्वाचन आयोग के प्रति संवेदना व्यक्त करने का समय आ गया है, जिसने धनबल के इस्तेमाल पर आंखें मूंद लीं। उन्होंने आरोप लगाया कि अदालतें लंबे समय से आईसीयू में हैं।