आज यानी नहाय-खाय से छठ महापर्व की शुरुआत हो गई है। अगले तीन दिन तक चलेगा। पंचांग के अनुसार, छठ महापर्व 7 नवंबर को मनाय जाएगा। यह पर्व हिंदू धर्म का सबसे कठिन व्रत होता है। यह चार दिवसीय महापर्व है। छठ महापर्व की शुरुआत नहाये-खाय से होती है। नहाय-खाय के दिन महिलाएं विधि-विधान से छठी मैया की पूजा करती हैं साथ ही सात्विक भोजन भी करती हैं। नहाय-खाय के दिन व्रती चावल, चने की दान, लौकी या कद्दू की सब्जी और पकौड़ी खाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठ पर्व पर मुख्य प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है। तो आज इस खबर में जानेंगे कि छठ महापर्व पर सूर्य देव को पहला अर्घ्य कब देना है।
कब है खरना
आज छठ पर्व का पहला दिन नहाय-खाय हैं। वहीं दूसरा दिन खरना मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम के समय में खीर और रोटी पकाती हैं। शाम को वहीं खीर-रोटी प्रसाद के रूप में ग्रहण करती हैं और 36 घंटे तक निर्जला रहने का संकल्प लेती हैं। यह व्रत बहुत ही कठिन होता है। खरना के बाद महिलाएं एक बूंद पानी भी नहीं पीती हैं।
कब दिया जाएगा पहला अर्घ्य
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खरना के अगले दिन ही भगवान सूर्य और छठी मैया को संध्या अर्घ्य दिया जाता है। मान्यता है कि इस दिन फल, ठेकुआ और सारे पकवान आदि को बांस के सूप या टोकरी में सजाकर घाट पर ले जाया जाता है। वहीं शाम को सूर्यास्त के समय कमर भर पानी में व्रती संध्या अर्घ्य देती हैं। छठ महापर्व का पहला अर्घ्य 7 नवंबर को दिन गुरुवार को दिया जाएगा।
जानें कब दिया जाएगा दूसरा अर्घ्य
वैदिक पंचांग के अनुसार, छठ महापर्व के दिन दूसरा अर्घ्य उगते हुए सूर्य को दिया जाता है। पंचांग के अनुसार, छठ महापर्व का दूसरा अर्घ्य 8 नवंबर को सुबह 6 बजकर 38 मिनट पर दिया जाएगा।
क्या है छठ पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठ पूजा भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित है। मान्यता है कि यह व्रत संतान की सलामती और खुशहाली के लिए रखी जाती है। मान्यता है कि जो महिलाएं छठ का व्रत रखती हैं, उनके घर में कभी भी किसी भी चीज की कमी नहीं होती है। घर हमेशा धन-धान्य से भरा रहता है।