दिवाली के दिन ‘रात्रि में ही क्यों की जाती है पूजा’, जानें इसके पौराणिक और ज्योतिषिय महत्व

दिवाली की शुरुआत आज यानी धनतेरस से हो गई है। अगले 5 दिनों तक दीपों का त्योहार दिवाली मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, दिवाली कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल दिवाली 31 अक्टूबर दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। दिवाली की रात माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा विधि-विधान से की जाती है। जो लोग दिवाली के दिन माता लक्ष्मी के साथ गणेश भगवान की पूजा करते हैं उनके घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

दिवाली की रात दीप जलाकर खुशियां मनाई जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दिवाली की रात दीप क्यों जलाया जाता है। साथ ही रात में पूजा क्यों की जाती है। इसका महत्व क्या है। अगर नहीं जानते हैं तो आज इस खबर में बताएंगे कि दिवाली की रात पूजा और दीपक क्यों जलाए जाते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दिवाली पर हमेशा मां लक्ष्मी की पूजा रात में या सूर्यास्त के बाद किया जाता है। रात या सूर्यास्त के बाद माता की पूजा करने के पीछे धार्मिक, पौराणिक और ज्योतिषीय कारण है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त के बाद करनी चाहिए। माता लक्ष्मी की पूजा सिर्फ दिवाली के दिन ही रात या सूर्यास्त में पूजा होती है बाकि दिनों में सुबह, शाम या दिन में किसी भी समय में पूजा कर सकते हैं।

दिवाली पर रात में क्यों होती है पूजा
सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, माता लक्ष्मी को रात का समय बहुत ही प्रिय समय है। प्रत्येक साल दिवाली अमावस्या तिथि पर होती है। अमावस्या की रात जब चांद नहीं दिखाई देता है और चारों तरफ काफी अंधेरा हो जाता है। तो ऐसे में दिवाली की रात माता लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां लक्ष्मी को ज्योति का प्रतीक भी माना गया है। इसलिए रात के समय में दीप जलाकर अज्ञानता और अंधकार को दूर करने का संदेश दिया जाता है। इस साथ ही दिवाली की रात मां लक्ष्मी और भगवान गणेश एक साथ पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने के लिए आते हैं और अपने भक्तों को कर्म के अनुसार फल प्रदान करते हैं।

क्या है लक्ष्मी पूजा का पौराणिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ था उस समय मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं, तब से मां लक्ष्मी की पूजा दिवाली के दिन की जाती है। मान्यता है कि जब समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी प्रकट हुई थी, तो उस समय रात का समय था। इसलिए माता लक्ष्मी की पूजा रात में करना शुभ माना गया है। इस दिन माता लक्ष्मी सभी के घरों में भ्रमण करती हैं। मान्यता है कि जिन घरों में प्रकाशमय और सफाई होती है उन घरों में मां लक्ष्मी वास करती हैं।

जानें दिवाली पूजन का ज्योतिष महत्व
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त अमावस्या के बाद का समय होता है, जिसे प्रदोष काल भी कहा जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद का समय होता है। इस काल में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि प्रदोष काल में मां लक्ष्मी की पूजा करना बहुत ही शुभ होता है। क्योंकि इस काल में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। तो इसलिए दिवाली के दिन रात में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

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