हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि के बाद विजय दशमी का विशेष महत्व होता है. इस दिन दशहरा पूजा के दौरान असत्य और अधर्म के प्रतीक रावण का पुतला जलाया जाता है. लोग पुतले की राख को घर लाते हैं. कहा जाता है कि पुतले की राख घर लाने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है. इस दिन नए कार्यों की शुरुआत करने से सफलता प्राप्त होती है. दशहरा के पर्व पर शस्त्र पूजन का भी विधान है. दशहरा के दिन जरूर करें श्री राम की आरती
भगवान श्री राम की आरती
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
छंद
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
।।सोरठा।।
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।