भोपाल। मध्य प्रदेश में वन विभाग की गलती का खमियाजा अब 6592 वन रक्षकों को भुगतना पड़ेगा। सरकार ने वन कर्मचारियों पर करीब 165 करोड़ की रिकवरी निकाली है। इसके लिए विभाग की तरफ से नोटिस भी जारी कर दिया गया है। प्रत्येक वन आरक्षकों से 1 लाख 29 हजार की वसूली की जाएगी। यह रकम 6592 वनरक्षकों से सरकार ब्याज समेत वापस लेगी।
वन विभाग ने वनरक्षकों को 5680 मूलवेतन देने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था। प्रस्ताव का वित्त विभाग ने परीक्षण किया, परीक्षण में वन रक्षक भर्ती नियम उल्लंघन का खुलासा हुआ था। जहां भर्ती नियम के अंतर्गत 5200 मूलवेतन देने दिया जाना था, वहां 6592 वनरक्षकों को 5680 मूलवेतन दिया गया। वन विभाग ने वेतन की गलत गणना की और कोषालय भी उन्हें बढ़ा हुआ वेतन जारी करता रहा। 2006 से काम कर रहे वनरक्षको से पांच लाख रूपए और 2013 से काम कर रहे वनरक्षकों से 1.5 लाख रुपए 12 प्रतिशत की दर से ब्याज भी वसूला जाएगा।
यह है पूरा मामला
मध्य प्रदेश के वन विभाग ने पहले तो सैलरी में 165 करोड़ रुपए ज्यादा दिए। अब 6 हजार 592 फॉरेस्ट गार्ड्स से इसकी वसूली की जाएगी। यानी हर वनरक्षक को औसतन ढाई लाख रुपए सरकारी खजाने में वापस जमा कराने होंगे। दरअसल ये स्थिति वनरक्षकों के मूल वेतन (पे बैंड) के गलत गणना (कैल्कुलेशन) से बनी है। भर्ती नियम के मुताबिक पे बैंड 5200 देना था, लेकिन दिए गए 5680 रुपए। ये गड़बड़ी 1 जनवरी 2006 से 8 सितंबर 2014 के बीच भर्ती हुए वनरक्षकों की सैलरी में हुई है। जिनसे अब वसूली की जाएगी।