विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र को संबोधित किया। इस दौरान शांत स्वभाव के माने जाने वाले एस जयशंकर ने भारत के दो पड़ोसियों पाकिस्तान -चीन को जमकर धोया। भारत के विदेश मंत्री ने एक तरफ, जहां पाकिस्तान को PoK खाली करने का अल्टीमेटम दिया। वहीं दूसरी तरफ चीन को आईना दिखाया।विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि यह (पाकिस्तान का) ‘कर्म’ ही है कि उसकी बुराइयां अब उसके अपने समाज को निगल रही हैं।विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार (28 सितंबर) को कहा कि पाकिस्तान के साथ अब उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को खाली कराने का मुद्दा सुलझाना है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सीमा पार आतंकवाद की नीति कभी सफल नहीं होगी और उसके कृत्यों के निश्चित परिणाम मिलेंगे।
जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 79वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच अब केवल एक ही मुद्दा सुलझाया जाना शेष है कि पाकिस्तान अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करे। साथ ही आतंकवाद के प्रति अपने दीर्घकालिक जुड़ाव को छोड़ दे।
आतंकवाद के विनाशकारी परिणाम होंगे
एस जयशंकर ने पाकिस्तान को नसीहत देते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के निश्चित रूप से विनाशकारी परिणाम होंगे। हमारे बीच हल किया जाने वाला मुद्दा केवल पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जा किए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करना है और निश्चित रूप से पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद के साथ लंबे समय से चले आ रहे लगाव को त्यागना है। उन्होंने आगे कहा कि सच तो यह है कि दुनिया बिखरी हुई, ध्रुवीकृत और निराश है. बातचीत मुश्किल हो गई है, समझौते तो और भी मुश्किल हो गए हैं। यह निश्चित रूप से वह नहीं है जो संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक हमसे चाहते होंगे। आज, हम शांति और समृद्धि दोनों को समान रूप से खतरे में पाते हैं और ऐसा इसलिए है क्योंकि विश्वास खत्म हो गया है।
चीन को भी सुना दी खरी-खरी
उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच अब केवल एक ही मुद्दा सुलझाया जाना शेष है कि पाकिस्तान अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करे और आतंकवाद के प्रति अपने दीर्घकालिक जुड़ाव को तिलांजलि दे। जयशंकर ने यह भी कहा कि आतंकवाद विश्व की सभी मान्यताओं के विपरीत है। उन्होंने कहा, ”इसके सभी रूपों और अभिव्यक्तियों का दृढ़ता से विरोध किया जाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र की ओर से वैश्विक आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने में भी राजनीतिक कारणों से बाधा नहीं डाली जानी चाहिए। जयशंकर की यह टिप्पणी पाकिस्तान के मित्र चीन की तरफ से भारत और अमेरिका जैसे उसके सहयोगियों की ओर 1267 के तहत पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादियों को नामित करने के लिए प्रस्तुत प्रस्तावों पर बार-बार अड़ंगा डालने की पृष्ठभूमि में आई है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने 26 सितंबर को आमसभा को संबोधित करते हुए जम्मू एवं कश्मीर का मुद्दा उठाया।उन्होंने अपने 20 मिनट से अधिक के भाषण में अनुच्छेद 370 और हिज्बुल आतंकवादी बुरहान वानी का जिक्र किया था।