जनता की अदालत’ में अरविंद केजरीवालः कहा- ‘मेरी चमड़ी मोटी नहीं, चोर-भ्रष्टाचारी कहने पर मुझे फर्क पड़ता है’, RSS प्रमुख मोहन भागवत से पूछे 5 सवाल

सीएम पद से त्याग देने के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल पहली बार ‘जनता की अदालत’ में लोगों से मुखातिब हुए। केजरीवाल रविवार को जंतर मंतर पर आयोजित ‘जनता की अदालत’ में शामिल होकर उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियों का भी आगाज कर दिया। केजरीवाल ने कहा- मैं नेता नहीं, मेरी चमड़ी मोटी नहीं है। मुझे जब ये भ्रष्टाचारी-चोर कहते हैं तो मुझे फर्क पड़ता है। आज मेरी आत्मा पीड़ित है और इसीलिए मैंने इस्तीफा दिया है। इस दौरान उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए RSS प्रमुख मोहन भागवत से 5 सवाल भी पूछे।अरविंद केजरीवाल ने जंतर-मंतर पर अपने भाषण में कहा कि 10 वर्षों तक ईमानदारी से काम किया, तो नरेंद्र मोदी को लगने लगा कि इनसे जीतना है तो ईमानदारी पर चोट करो। उन्होंने हम पर भ्रष्टाचार के झूठे आरोप लगाए। हमारे मंत्रियों और नेताओं को चुन-चुनकर जेल में डाला।

केजरीवाल ने कहा, ‘4 अप्रैल, 2011 का दिन था जब भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना आंदोलन शुरू हुआ था। हम ईमानदारी से सरकार चला रहे थे, जनता को सुविधाएं दीं. बिजली फ्री की, पानी फ्री किया, महिलाओं के लिए बस फ्री की। बुजुर्गों को फ्री में तीर्थ यात्राएं करवाईं। अस्पताल, मोहल्ला क्लीनिक और शानदार स्कूल बनाए। 10 वर्षों तक ईमानदारी से काम किया।

जंतर-मंतर पर पुराने दिन याद आ गए

आज आपके बीच आकर बहुत अच्छा लग रहा है। जंतर-मंतर पर बहुत अच्छा लग रहा है, पुराने दिन याद आ गए। मुझे आज भी याद है। 4 अप्रैल 2011 का दिन था, जब आजाद भारत का भ्रष्टाचार विरोधी सबसे बड़ा आंदोलन यहां जंतर-मंतर से शुरू हुआ था। डेढ़-दो साल कभी जंतर-मंतर, कभी रामलीला मैदान, उस वक्त की सरकार अहंकारी थी। चैलेंज करते थे कि चुनाव जीतकर दिखाओ। हम छोटे थे, चुनाव के लिए पैसा चाहिए था, गुंडे चाहिए थे, आदमी चाहिए थे। हम कैसे लड़ते हमारे पास कुछ नहीं था। हम भी चुनाव लड़ लिए, जनता ने जिता दिया, पहली बार में आम आदमी पार्टी की पहली बार सरकार बना दी। हमने साबित कर दिया कि ईमानदारी से चुनाव लड़े जा सकते हैं और जीते भी जा सकते हैं।

10 साल से ईमानदारी से सरकार चला रहे थे, जनता को सुविधाएं दी

ईमानदारी से चुनाव लड़े थे, हमारे पास कोई पैसा नहीं था और कोई आदमी नहीं था। दिल्ली के अंदर 10 साल से ईमानदारी से सरकार चला रहे थे और पैसे बचा रहे थे। ऐसी सुविधाएं दी, जिनकी कोई कल्पना नहीं कर सकता है। महिलाओं के लिए बसों का किराया मुफ्त कर दिया। बुजुर्गों के लिए तीर्थ यात्रा मुफ्त कर दी, इलाज मुफ्त कर दिया, शिक्षा शानदार कर दी। षडयंत्र रचकर इन लोगों ने हमारे एक-एक नेता को जेल में डाल दिया। हम जेल से बाहर आ गए और इसके बाद मैंने इस्तीफा दे दिया। मैंने इसलिए इस्तीफा दिया क्योंकि मैं भ्रष्टाचार करने नहीं आया था, मुझे सीएम पद की सत्ता की भूख नहीं है। मैं पैसे कमाने नहीं आया था। देश के लिए आए थे, भारत माता के लिए आए थे, देश की राजनीति बदलने आए थे।

केजरीवाल और मेरी राम-लक्ष्मण की जोड़ी: सिसोदिया

इससे पहले दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अपने संबोधन में कहा, ‘लोगों को दुख है कि एके अब सीएम नहीं रहे। लेकिन लोग इस बात से भी खुश हैं कि केजरीवाल ने एक तानाशाह की जेल की सलाखें तोड़ दी हैं। जेल में मुझे बोला गया आपकी पत्नी बीमार हैं और बेटा बाहर पढ़ रहा है। मेरे अकाउंट के 10 लाख रुपये भी इन्होंने जब्त कर लिए। मेरा बेटा कॉलेज में पढ़ता है। मुझे उसकी फीस भरने के लिए लोगों के सामने हाथ फैलाने पड़े। इनकी कोशिश थी कि मैं टूट जाऊं। जब बाहर से नहीं टूटा तो अंदर से तोड़ने की कोशिश की। बेशर्मी देखिए इनकी, CBI ने कहा कि मनीष सिसोदिया ने केजरीवाल का नाम दिया। मुझे जेल में कहा गया कि देखो केजरीवाल ने आपका नाम ले दिया, आप उनका नाम ले दो और आप बच जाओगे। मैं उनसे कहता था, आप लक्ष्मण को राम से अलग करने की कोशिश कर रहे हो। दुनिया में किसी में ताकत नहीं जो लक्ष्मण को राम से अलग कर सके। अरविंद केजरीवाल से मेरी 26 साल पुरानी दोस्ती है. वह मेरे राजनीतिक गुरु हैं।

सभी 70 विधानसभाओं में लगेगी जनता की अदालत
गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बनाई गई योजनाओं के तहत सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में जनता की अदालत लगाएंगे। साथ ही जनता से सवाल पूछेंगे कि आम आदमी पार्टी की सरकार ईमानदार सरकार है या नहीं? वह जनता ये भी पूछेंगे कि लोग उन्हें ईमानदार मानते हैं या नहीं?

15 को ऐलान और 17 सितंबर को छोड़ दिया था पद

पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल दिल्ली आबकारी नीति मामले में 13 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद तिहाड़ जेल से रिहा हो गए थे। उन्होंने 15 सितंबर सीएम पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया था और फिर 17 सितंबर को उन्होंने सीएम पद छोड़ दिया। अरविंद केजरीवालने आप कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि जब तक जनता की अदालत में उन्हें ईमानदार साबित नहीं किया जाता, तब तक वह दिल्ली में सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे।  

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