हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है। वह सभी गणों के स्वामी हैं। उनकी पूजा करने से न केवल सुख-समृद्धि बल्कि ज्ञान की भी प्राप्ति होती हैं। किसी भी नए काम की शुरुआत यदि गणेश जी के नाम से की जाए, तो वह हमेशा सफल होता है। वैसे तो रोजाना ही भगवान गणेश की पूजा की जाती है। लेकिन सप्ताह में बुधवार का दिन उनकी पूजा के लिए समर्पित होता है। वहीं विशेष फल की प्राप्ति के लिए भाद्रपद माह और भी शुभ होता है।
हिंदू धर्म में इस माह को भगवान गणेश के जन्म से जुड़ा गया है। बता दें भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश का जन्म हुआ था। हर साल इस तिथि को एक उत्सव की तरह मनाया जाता है, जो 10 दिनों तक लगातार चलता है। इस साल गणेश चतुर्थी का उत्सव 7 सितंबर से शुरू होगा, जबकि गणेश विसर्जन 17 सितंबर, 2024 के दिन किया जाएगा। इस दौरान उनकी पूजा करने से सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती हैं। इस दिन ब्रह्म योग और चित्रा नक्षत्र का निर्माण हो रहा है, जो इस तिथि की महत्ता को अधिक बढ़ा रहे हैं। ऐसे में गणेश चतुर्थी के शुभ मुहूर्त के बारे में भी जान लेते हैं।
गणेश चतुर्थी तिथि 2024
भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 6 सितंबर, 2024 को दोपहर 3 बजकर 2 मिनट पर होगी। इस तिथि का समापन 7 सितंबर को शाम 5 बजकर 38 मिनट पर होगा।
मूर्ति स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार 7 सितंबर 2024 को गणेश चतुर्थी की पूजा और मूर्ति स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 2 मिनट से शुरू हो रहा है। इस मुहूर्त का समापन उसी दिन दोपहर के 1 बजकर 33 मिनट पर होगा।
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥