वाराणसी। श्रावण शुक्ल पूर्णिमा पर ब्राह्मणों ने श्रावणी उपाकर्म के अनुष्ठान पूरे किए। आत्मशुद्धि के इस उत्सव में वेदों की शाखाओं के अनुसार विधान हुए। आंतरिक और वाह्य शुद्धि के लिए गोबर, मिट्टी, भस्म, अपामार्ग, दूर्वा, कुशा से मार्जन के साथ ही वेद मंत्रों का सस्वर पाठ किया गया। महाऔषधि पंचगव्य के प्राशन के जरिये शरीर के अंतकरण को शुद्ध किया गया।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद विभाग की ओर से सोमवार को आयोजित ऋषि पूजन के दौरान कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि गुरु (शिक्षक) संस्कृत-संस्कार और संस्कृति के परिदृश्य में विद्यार्थियों को उत्तम कर्म करने का पाठ पढ़ाएं। शिक्षक भी श्रेष्ठ गुरु बनकर श्रेष्ठ विद्यार्थियों का जन्म दें। गंगा के तट पर प्रो. सुधाकर मिश्र की अध्यक्षता में वेद विभागाध्यक्ष प्रो. महेंद्र नाथ पांडेय सहित अनेक अध्यापकों और विद्यार्थियों ने सुबह साढ़े नौ बजे स्नान आदि के साथ विधिपूर्वक श्रावणी उपाकर्म का पूजन किया। विश्वविद्यालय में प्रो. रामपूजन पांडेय की अध्यक्षता में षोडशोपचार विधि से पूजन हुआ।
श्री राजस्थान ब्राह्मण मंडल का श्रावणी उपाकर्म और ऋषि पूजन-यज्ञोपवीत पूजन पंडित कैलाश मिश्र के आचार्यत्व में संपन्न हुआ। मानमंदिर घाट, मीरघाट स्थित मंडल भवन में यज्ञोपवीत पूजन हुआ। इसी तरह अहिल्याबाई घाट पर विप्र समाज एवं शास्त्रार्थ महाविद्यालय की ओर से श्रावणी उपाकर्म हुए। पं. विकास दीक्षित, डॉ. गणेश दत्त शास्त्री, प्राचार्य डॉ. पवन कुमार शुक्ल आदि रहे। सरयूपारीण ब्राह्मण परिषद की ओर से परिषद के अध्यक्ष पंडित पारस नाथ उपाध्याय के संयोजन में अस्सी में उपाकर्म हुआ। अनुष्ठान के आचार्य पंडित श्रीप्रकाश पांडेय और पंकज शास्त्री रहे।
नारायणानंद तीर्थ वेद विद्यालय में हुआ श्रावणी उपाकर्म
श्री काशी धर्मपीठ द्वारा संचालित श्री स्वामी नारायणानंदतीर्थ वेद विद्यालय में वैदिक वांग्मय में अस्सी घाट पर श्रावणी महापर्व मनाया गया। काशी विद्वत परिषद् के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी, भरत मिश्र, डॉ. सर्वेश रमण तिवारी के आचार्यत्व में उपाकर्म संपन्न हुआ। अस्सी घाट पर श्रावणी उपाकर्म व ऋषि पूजन का आयोजन पंडित शिव पूजन शास्त्री के सानिध्य में हुआ। शिवपूजन शास्त्री ने कहा कि ब्राह्मणों को श्रावणी उपकर्म अवश्य करना चाहिए।