मध्यप्रदेश के खंडवा जिले की धार्मिक तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में सावन मास के तीसरे सोमवार सुबह से ही शुरू हुआ श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला देर शाम तक जारी रहा। अनुमान लगाया जा रहा है कि भगवान ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर मंदिर परिसर में इस दिन एक लाख से अधिक भक्तों ने बाबा ओंकार के दर्शन किए हैं।
वहीं, इस दौरान प्रातः चार बजे से हुई बाबा ओंकार की मंगला आरती के बाद से ही भोले बाबा के दर्शनों के लिए लम्बी-लम्बी कतारें लगना शुरू हो गई थी। इस बीच श्रद्धालु ज्योतिर्लिंग भगवान के दर्शन करने कतारों में लगकर अपनी बारी आने का इंतजार करते रहे और बोल बम के जयकारे लगाते रहे।
शीघ्र दर्शन के टिकट काउंटर रहे बंद
इधर, श्रावण मास के तीसरे सोमवार के चलते मंदिर प्रबंधन के साथ ही जिला प्रशासन के द्वारा पूरे ज्योतिर्लिंग मंदिर परिसर और तीर्थ नगरी में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए थे। वहीं, मंदिर में शीघ्र दर्शन करने के टिकट काउंटर बंद रहे, जिसके चलते सभी भक्तों ने सामान्य लाइनों से ही कतारबद्ध होकर दर्शन लाभ लिया। उसके बाद यहां से हजारों भक्तों ने ओंकार पर्वत की परिक्रमा कर प्राचीन मंदिरों के भी दर्शन किए।
सजी हुई पालकी में भ्रमण करने निकले भगवान
इधर, तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर में श्रावण सोमवार के चलते ज्योतिर्लिंग भगवान ओंकारजी महाराज की तीसरी महासवारी श्रद्धा व धूमधाम के साथ निकाली गई। इस दिन दोपहर दो बजे ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर जी सजी हुई पालकी में विराजमान होकर ढोल-धमाकों के साथ प्रजा का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकले। इस दौरान भोले शम्भू भोलेनाथ के उद्घोष के साथ नाचते हुए भोले बाबा के भक्त भक्ति में झूम रहे थे। बाबा की पालकी तपस्या गुफा होकर कोटितीर्थ घाट पंहुची।जहां पुण्य सलिला नर्मदाजी के पावन तट पर 251 लीटर दूध एवं पंचामृत नर्मदा जल से विद्वान पंडितों द्वारा वेद मंत्रोच्चार के साथ महाभिषेक सम्पन्न करवाया गया।
ओंकारेश्वर और ममलेश्वर भगवान को कराया नौका विहार
इधर, नर्मदा के दक्षिण तट पर श्री ममलेश्वर जी की पालकी भी गौमुख घाट पहुंची। जहां पूजा अभिषेक के बाद दोनों ही पालकियों को पवित्र नर्मदाजी में नौका विहार करवाया गया। उसके बाद श्री ममलेश्वर जी का महाश्रृंगार भी किया गया। ज्योतिर्लिंग भगवान की महासवारी गौमुख घाट से काशी विश्वनाथ मंदिर, बालवाड़ी, होकर पुराना बस स्टैंड पहुंची, जिसके बाद मुख्य मार्ग से जेपी चौक पैदल पुल, बढ़ चौक, मेन मार्किट होकर वापिस मंदिर पंहुची। मार्ग में भक्तों ने गुलाब और गुलाल उड़ाया। कपूर आरती कर अभिवादन किया। हजारों भक्तों ने पालकियों के दर्शन कर अपने को धन्य माना। पालकी में सैकड़ों भक्त झांझ मजीरे डमरू बजा कर नाच रहे थे। इस दौरान सुरक्षा के भी पुख्ता प्रबंध किए गए थे।