इंदौर। शहर का करीब 200 साल पुराना संयोगितागंज हायर सेकेंडरी स्कूल कभी शिक्षा का प्रमुख केंद्र हुआ करता था। लेकिन आज यह अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। एक समय जिस विद्यालय का गौरवशाली इतिहास रहा है। अधूरे निर्माण कार्यों के कारण आज इसकी हालत खंडहर से भी बदतर हो चुकी है। पिछले दो साल में 200 से अधिक विद्यार्थियों ने इस स्कूल को छोड़ दिया है। नए दाखिले होना तो दूर की बात है।
हेरिटेज भवन के रूप में किया गया था चिन्हित
संयोगितागंज हायर सेकेंडरी स्कूल को हेरिटेज भवन के रूप में चिन्हित किया गया था। और इसके जीर्णोद्धार का कार्य 2022 मार्च में शुरू हुआ था। लेकिन ठेकेदार की लापरवाही के चलते यह काम कुछ माह बाद ही बंद हो गया। अधूरे निर्माण के कारण स्कूल की इमारत में जगह की कमी हो गई है और इसे अब दो शिफ्टों में चलाना पड़ रहा है। नगर निगम ने करीब दो करोड़ रुपये की लागत से जीर्णोद्धार का काम शुरू किया था। लेकिन काम बंद होने के बाद से ही स्कूल की हालत बिगड़ती चली गई। मलबा और अधूरी इमारत के कारण अभिभावक अपने बच्चों को यहां पढ़ाने से कतराने लगे हैं।
अब पूरे स्कूल में मात्र 300 छात्र
500 छात्रों वाले संयोगितागंज हायर सेकेंडरी स्कूल में अब मात्र 300 छात्र रह गए हैं। स्कूल स्टाफ के अनुसार, ठेकेदार को हटाने के बाद नई टेंडर प्रक्रिया जारी है। लेकिन काम कब शुरू होगा, इसका कोई निश्चित समय नहीं बताया गया है। कई बार शिकायत करने के बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों ने केवल आश्वासन दिए हैं।
स्कूल का इतिहास
संयोगितागंज हायर सेकेंडरी स्कूल की स्थापना साल 1826 में हुई थी। छावनी क्षेत्र में स्थित इस सरकारी स्कूल फिल्म हस्तियों से लेकर खिलाड़ी और देश की सेवा करने वाले विंग कमांडर तक ने शिक्षा हासिल की है। इनमें ख्यात हास्य फिल्म अभिनेता जॉनी वॉकर (बदरुद्दीन), क्रिकेटर कैप्टन मुश्ताक अली, चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन, विंग कमांडर गौतम पद्मनाभन व अशोक पद्मनाभन, टेबल टेनिस खिलाड़ी जाल गोदरेज, फिल्म राइटर सलीम खां इस स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं। आज स्कूल बदतर होता हुआ नजर आ रहा है। संयोगितागंज हायर सेकेंडरी स्कूल की यह दास्तां न केवल शिक्षा के क्षेत्र के लिए, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी एक बड़ी चिंता का विषय है। जल्द ही इस पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि इसका खोया हुआ गौरव फिर से वापस लाया जा सके।