एमपी : बीजेपी के इस एमएलए के फिर तीखे तेवर, कांग्रेस की प्रशंसा से सरकार की बांछें खिली

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शहडोल. एमपी में एक बार फिर राजनीतिक सरगर्मी गर्मा गई है. इस बार फिर से बीजेपी के एक एमएलए ने कांग्रेस की कमलनाथ सरकार की भूरि-भूरि प्रशंसा करके जहां भाजपा नेताओं की पेशानी पर बल ला दिया है, वहीं कांग्रेस सरकार की बांछें खिली हुई हैं. दरअसल भाजपा के विधायक शरद कोल ने एक बार फिर से बड़ा बयान दिया है. शरद कोल ने कहा है कि मैं कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के कामकाज से संतुष्ट हूं और सीएम कमलनाथ के साथ हूं.

उल्लेखनीय है कि शरद कोल शहडोल जिले की ब्यौहारी विधानसभा सीट से भाजपा विधायक हैं. विधानसभा सत्र के दौरान शरद कोल ने कमल नाथ सरकार के पक्ष में वोटिंग की थी. शरद कोल ने कहा- मैंने भाजपा नहीं छोड़ी है मैं अभी भी भाजपा का सदस्य हूं. उन्होंने कहा कि मेरी गिनती आज भी भाजपा सदस्यों के रूप में होती है.

अपने विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए मैं कमल नाथ सरकार के साथ हूं. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि दिसंबर में होने वाले विधानसभा सत्र में जल्द खुलासा हो जाएगा कि मैं किस पार्टी के साथ हूं. इसके साथ ही उन्होंने दिसंबर महीने में होने वाले विधानसभा सत्र में कई बड़े खुलासे होंगे.

कमलनाथ सरकार के खिलाफ नहीं किया विरोध

इस बीजेपी एमएलए के बगावती तेवर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकत है कि सोमवार 4 नवंबर को भाजपा ने कमल नाथ सरकार के खिलाफ हर विधानसभा में जन आक्रोश रैली निकाली थी. इस दौरान शरद कोल ने ब्यौहारी विधानसभा सीट में शरद कोल ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया था.

विधानसभा सत्र में की थी बगावत

विदित हो कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराने का दावा करने वाली भाजपा का दांव उस वक्त उल्टा पड़ गया था. जब भाजपा के दो विधायकों ने सदन में दंड विधि (संशोधन) विधायक पर सरकार के पक्ष में वोटिंग की थी. भाजपा के दो विधायकों के कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग करने से कमल नाथ सरकार मजबूत हुई थी. भाजपा के नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने सरकार के समर्थन में वोटिंग की थी.

टिकट नहीं मिलने से छोड़ी थी कांग्रेस

पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान ब्यौहारी सीट से कांग्रेस की टिकट मांगी थी, लेकिन उन्हें कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया. इसलिए विधानसभा चुनाव से ठीक 10 दिन पहले वह कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गये और ब्यौहारी सीट से बीजेपी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बना दिया. वह चुनाव जीत कर विधायक बन गये. ब्यौहारी आदिवासी बहुत इलाका है, परिसीमन के बाद ये सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है.

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