स्कूल ड्रेस ज्यादातर लोगों के जीवन का एक अहम हिस्सा रहा है. बचपन में स्कूल ड्रेस ही वह पहली चीज होती है जो अलग-अलग जाति, धर्म, संप्रदाय और जगहों से आने वाले बच्चों को एक श्रेणी में एक समान खड़ा कर देती है. दरअसल, स्कूल ड्रेस बनाने की वजह भी यही थी. खैर, चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिर स्कूल ड्रेस को हिंदी में क्या कहा जाता है और इसका इतिहास क्या है.
स्कूल ड्रेस की हिंदी और उसका इतिहास
स्कूल ड्रेस को हिंदी में विद्यालय गणवेश या फिर विद्यालय वर्दी कह सकते हैं. दरअसल, किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म को वर्दी ही कहा जाता है, चाहे वो पुलिस की हो या आर्मी की. चलिए अब आपको स्कूल ड्रेस के इतिहास के बारे में बताते हैं.
स्कूल ड्रेस का इतिहास लगभग 500 साल पुराना है. स्कूल ड्रेस की शुरुआत 16वीं शताब्दी में सबसे पहले इंग्लैंड में हुई. उस वक्त वहां के स्कूलों में छात्रों को जो यूनिफॉर्म दी जाती थी, उसमें एक नीला लंबा कोट होता था और पीला ट्राउजर होता था. इसके साथ ही घुटनों तक ऊंचे मोजे होते थे. इंग्लैंड के बाद स्कूलों में यूनिफॉर्म की प्रथा फिर कई देशों में लागू हुई.
हालांकि, इंग्लैंड से पहले भारत में जब गुरुकुल की परंपरा थी तब भी वहां सभी छात्र एक जैसी ही यूनिफॉर्म में होते थे. यानी गुरुकुल में किसी राजा का बेटा हो या किसी आम इंसान का वह वस्त्र एक जैसे ही पहनता था.
ज्यादातर स्कूलों में सफेद शर्ट क्यों होती है
आपने देखा होगा कि ज्यादातर स्कूलों में शर्ट का रंग सफेद होता है. चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिर इसके पीछे की वजह क्या है. दरअसल, सफेद रंग शांति का प्रतीक होता है. इसके साथ ही इसे एकता और समानता का भी रंग माना जाता है. भारत के झंडे में भी सफेद रंग है जो शांति और त्याग का प्रतीक है. यही वजह है कि ज्यादातर स्कूलों में शर्ट का रंग सफेद होता है.
सरकारी स्कूलों में यूनिफॉर्म
भारत के अलग-अलग राज्यों के सरकारी स्कूलों में अलग-अलग रंग के स्कूल यूनिफॉर्म हैं. जैसे उत्तर प्रदेश सरकार के अंतर्गत जितने भी प्राइमरी स्कूल आते हैं वहां बच्चों का जो स्कूल यूनिफॉर्म है उसमे सफेद शर्ट और खाकी रंग की पैंट होती है. इसी तरह से अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रंग की यूनिफॉर्म होती है.