वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई 2024 को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगी। नई सरकार के गठन के बाद पेश होने वाला यह बजट कई मायनों में अहम है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत हर वित्तीय वर्ष (Financial Year) की शुरुआत से पहले सरकार को संसद में केंद्रीय या अंतरिम बजट पेश करना जरूरी होता है। अंतरिम बजट चुनावी साल में पेश किया जाता है। इसी साल 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट पेश किया था। बजट किसी वित्तीय वर्ष में होने वाली आमदनी और खर्चों से जुड़ा दस्तावेज है। वित्तीय वर्ष हर साल 1 अप्रैल से शुरू होकर अगले साल 31 मार्च को समाप्त होता है। भारत सरकार की ओर से बजट पेश करने की शुरुआत 19वीं सदी में ही हो गई थी।
आइए जानतें हैं देश के बजट से जुड़ी कुछ अहम बातें।
कहां से आया ‘बजट’ शब्द?
बजट शब्द फ्रेंच भाषा के शब्द ‘Bougette’ से लिया गया है। इसका अर्थ होता है छोटा बैग फ्रेंच भाषा में यह शब्द लैटिन शब्द ‘बुल्गा’ से लिया गया है। इसका अर्थ है अर्थ है ‘चमड़े का थैला’। प्राचीन समय में बड़े व्यापारी अपने सारे मौद्रिक दस्तावेज एक थैले में रखते थे। इसी तरह धीरे-धीरे इस शब्द का प्रयोग संसाधनों को जुटाने के लिए किए गए हिसाब-किताब से जुड़ गया। इस तरह सरकारों के साल भर के आर्थिक बही-खाते को नाम मिला ‘बजट’।
ईस्ट इंडिया कंपनी ने पेश किया था पहला बजट
देश का पहला बजट 163 साल पहले अंग्रेजी शासन के दौरान पेश किया गया था। इसे स्कॉटिश अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ जेम्स विल्सन ने ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से ब्रिटिश क्राउन के समक्ष पेश किया था। इस बजट को 7 अप्रैल 1860 को पेश किया गया था। केंद्रीय बजट के शुरुआती 30 वर्षों में इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर नाम के शब्द की कोई चर्चा नहीं थी। बजट में यह शब्द पहली बार 20 शताब्दी की शुरुआत में शामिल किया गया।
आजाद भारत का पहला बजट कब पेश किया गया?
आजाद भारत का पहला बजट 16 नवंबर 1947 को पेश किया गया था। इसे देश के पहले वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था। हालांकि यह एक तरह से भारतीय अर्थव्यवस्था की समीक्षा रिपोर्ट थी। इस बजट में किसी नए टैक्स की घोषणा नहीं की गई थी। इस बजट की कुल राशि का लगभग 46% लगभग 92.74 करोड़ रुपये रक्षा सेवाओं के लिए अलॉट किया गया था।
एक वैज्ञानिक और देश के बजट का कनेक्शन!
माना जाता है कि स्वतंत्र भारत के बजट की परिकल्पना प्रो. प्रशांत चंद्र महालनोबिस ने की थी। स्वतंत्र भारत के बजट की अवधारणा उन्होंने ही तैयार की थी। वे एक भारतीय वैज्ञानिक और सांख्यविद् थे। उन्होंने लन्दन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से भौतिकी और गणित दोनों विषयों से डिग्री हासिल की थी। वे भारत के योजना आयोग के सदस्य भी रह चुके हैं। आर्थिक योजना और सांख्यिकी विकास के क्षेत्र में प्रशांत चन्द्र महालनोबिस के उल्लेखनीय योगदान के सम्मान में भारत सरकार उनके जन्मदिन 29 जून को हर वर्ष ‘सांख्यिकी दिवस’ के रूप में मनाती है।
…जब लीक हो गया था देश का बजट
देश का केंद्रीय बजट वर्ष 1950 में सदन में पेश होने से पहले ही लीक हो गया था। उसके बाद बजट की छपाई का काम राष्ट्रपति भवन से मिंटो रोड स्थित एक प्रेस में शिफ्ट कर दिया गया था। फिर साल 1980 से बजट की छपाई नॉर्थ ब्लॉक स्थित सरकारी प्रेस से की जाने लगी।
हिंदी में बजट की शुरुआत कब हुई?
पहले बजट से जुड़े सारे दस्तावेज सिर्फ अंग्रेजी में ही छपते थे। साल 1955-56 से इसे अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में मुद्रित किया जाने लगा।
भारत के तीन प्रधानमंत्रियों ने खुद पेश किया बजट
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने वर्ष 1958-1959 का बजट बतौर प्रधानमंत्री पहली बार पेश किया। आमतौर पर देश के वित्त मंत्री ही बजट पेश करते हैं। पंडित नेहरू के अलावा इंदिरा गांधी ने वर्ष 1970-71 का बजट बतौर पीएम पेश किया। वे देश का केंद्रीय बजट पेश करने वालीं पहली महिला भी थीं। उनके बेटे राजीव गांधी ने भी वित्तीय वर्ष 1987-88 का बजट सदन में बतौर पीएम पेश किया।
सबसे अधिक बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड किसके नाम?
सबसे अधिक बार देश का बजट पेश करने का श्रेय पूर्व वित्त मंत्री मोरारजी देसाई को जाता है। उन्होंने इसे 10 बार पेश किया। उसके बाद पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 9 बार, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 8 बार, यशवंत सिन्हा ने 8 बार और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने 6 बार बजट पेश किया।
इंदिरा गांधी के कार्यकाल का ये बजट कहलाता है ‘ब्लैक बजट’
वर्ष 1973-74 के बजट को देश का ‘ब्लैक बजट’ कहा जाता है। इसे तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत राव बी चव्हाण ने पेश किया था। यह बजट 550 करोड़ रुपये के घाटे का था। यह उस समय तक का सबसे बड़ा बजट घाटा था। इस बजट पर वर्ष 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध और खराब मानसून का असर दिखा था।
देश के बदलाव में सबसे अहम बजट पेश करने का श्रेय इस ‘पीएम’ के नाम
देश के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह ने पीवी नरसिंह राव की सरकार में वित्त मंत्री रहने के दौरान वर्ष 1991-92 का बजट पेश किया था। इस बजट को भारत के बदलाव के लिहाज से सबसे अहम बजट माना जाता है। इसी बजट में भारतीय बाजार को आर्थिक रूप से खोल दिया गया था ताकि विदेशी निवेश को आमंत्रित किया जा सके। माना जाता है कि यहीं से देश की आर्थिक समृद्धि की शुरुआत हुई थी।
एनडीए के इस वित्त मंत्री ने पेश किया 21वीं सदी का पहला बजट
वित्तीय वर्ष 2000-01 का बजट तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने पेश किया था। इसे देश का ‘मिलेनियम बजट’ के नाम से जाना जाता है। यह 21वीं सदी का पहला बजट था। इस बजट में की गई घोषणाओं के कारण देश के आईटी सेक्टर में क्रांति आई।
…जब देश का केद्रीय बजट पेश करने का समय बदला गया
पहले देश का केंद्रीय बजट सदन में शाम पांच बजे से पेश किया जाता था। शाम पांच बजे बजट पेश करने का कारण यह था कि उस समय ब्रिटेन में 11.30 बज रहे होते थे। ब्रिटिश सरकार की तरफ से शुरू की गई परंपरा को आजादी के बाद भी निभाया जाता रहा। यशवंत सिन्हा ने 2001 में इसमें बदलाव किया। आगे चलकर मोदी सरकार ने हर साल 28 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट को एक फरवरी को पेश करना शुरू किया।
‘हलवा सेरेमनी’ क्या है?
जब बजट की छपाई पूरी हो जाती है और उसे सील किया जाता है उस दौरान वित्त मंत्रालय और उसके कर्मी एक खास सेरेमनी में शामिल होते हैं। दरअसल इस मौके पर कुछ मीठा खाने की अनूठी परंपरा है। इसे ‘हलवा सेरेमनी’ कहते हैं। इस सेरेमनी के लिए बड़े-बड़े बर्तनों में हलवा तैयार किया जाता है। वित्त मंत्री की ओर से इसे बजट से जुड़े सभी कर्मियों के बीच बांटा जाता है। वर्ष 2020 में कोरोना संकट के कारण वर्षों से चली आ रही इस परंपरा पर ब्रेक लग गई। हलवा सेरेमनी की जगह पर 2020 में कर्मियों के बीच मिठाइयों का वितरण किया गया था।
वित्तमंत्री सीतारमण ने ब्रीफकेस का इस्तेमाल बंद किया
कोविड संकट के कारण वर्ष 2021 के बजट में एक और अहम बदलाव किया गया। यह बजट देश का पहला ‘पेपरलेस बजट’ था। इसकी सभी प्रतियों को डिजिटली स्टोर किया गया था। उसके बाद 2022 का बजट भी पेपरलेस बजट था। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में एक और बदलाव किया। उन्होंने बजट से जुड़े दस्तावेज कैरी करने के लिए ब्रीफकेस का इस्तेमाल बंद कर दिया। अब वे बही-खाता जैसी दिखने वाली बैग में बजट से जुड़े दस्तावेज कैरी करती दिखतीं हैं।
सबसे लंबा बजट भाषण का रिकॉर्ड इस वित्त मंत्री के नाम
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का केंद्रीय बजट 2021 का भाषण भारतीय इतिहास का सबसे लंबा बजट भाषण है यह 2 घंटे 40 मिनट तक चला था। इससे दौरान उन्होंने केंद्रीय बजट 2020 पेश करने के 2 घंटे 17 मिनट के अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ा था। उनसे पहले सबसे लंबा बजट भाषण का रिकॉर्ड दिवंगत अरुण जेटली के नाम था। उनका 2014 का बजट भाषण 2 घंटे 10 मिनट लंबा था।
मोदी सरकार ने किया ‘रेल बजट’ और ‘आम बजट’ को एक
पहले संसद में दो बजट पेश किए जाते थे एक ‘रेल बजट’ और दूसरा ‘आम बजट’। भारत सरकार ने 21 सितंबर 2016 को आम बजट के साथ रेल बजट के विलय को मंजूरी दे दी। 1 फरवरी, 2017 को देश का पहला संयुक्त बजट संसद में पेश किया गया। रेलवे के लिए अलग बजट की प्रथा 1924 में शुरू हुई थी। यह फैसला एकवर्थ समिति की सिफारिशों के आधार पर लिया गया था।
पी. चिदंबरम ने पेश किया ‘ड्रीम बजट’
1997-98 के वित्तीय वर्ष के लिए तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम की ओर से पेश किए गए बजट को देश का ड्रीम बजट माना जाता है। इस बजट में व्यक्तिगत टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स को बहुत हद तक घटा दिया गया था।