लखनऊ. लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद अब यूपी के 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. उपचुनाव को लेकर एनडीए और इंडिया गठबंधन तैयारी में जुट गया है. इस उपचुनाव में लोकसभा की तरह ही भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच मुकाबला होने के अनुमान है. जिसकी वजह से सियासी हलचल काफी तेज हो गई है. उपचुनाव में भाजपा और सपा अपनी साख बचाने के लिए चुनावी मैदान में उतरेगी.
जानें कितनी सीटों पर होने हैं उपचुनाव
यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. इसमें करहल,मीरापुर,खैर,सीसामऊ,फूलपुर,मझवा,कुंदरकी,
गाजियाबाद,कटेहरी और मिल्कीपुर विधानसभा सीट है. इनमें से 5 विधानसभा सीटें सपा कोटे की खाली हुई हैं तो तीन सीटें भाजपा के कोटे से खाली हुई है. इसके अलावा एक सीट आरएलडी और एक सीट निषाद पार्टी की है. यह उपचुनाव एनडीए और इंडिया गठबंधन के लिहाज से दोनों के लिए काफी अहमियत रखता है.
वहीं लोकसभा चुनाव के परिणाम को देखने के बाद सपा का मनोबल बढ़ा हुआ है. बरहाल सीसामऊ से विधायक इरफान सोलंकी को हाल ही में आगजनी के केस में जेल जाना पड़ा,जिससे उनकी विधायकी रद्द हो गई. इरफान सोलंकी के विधायकी रद्द होने से सीसामऊ विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होना है.
करहल सीट
लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया है. जिसकी वजह से वो सीट भी खाली हो गई है. बता दें कि अखिलेश यादव कन्नौज से सांसद बने हैं. मैनपुरी लोकसभा में आने वाली करहल में लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखें तो यहां पर सपा को 1,34,049 वोट मिले वहीं भाजपा को 76,509 वो़ट मिले. सपा यहां से लगभग 57 हजार वोटों से आगे रही. लोकसभा चुनाव के परिणाम के मुताबिक उपचुनाव में यहां सपा का पलड़ा भारी रह सकता है. 2022 में अखिलेश यादव नें विधानसभा में 67 हजार से जीत दर्ज की थी.
खैर विधानसभा
लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद भाजपा विधायक अनूप प्रधान बाल्मीकि अलीगढ़ के खैर विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया है. अनूप प्रधान के इस्तीफे के बाद अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. बता दें कि अनूप प्रधान हाथरस से सांसद चुने गए हैं. अनूप प्रधान ने 2,47,318 वोटों से जीत दर्ज की है. हाथरस लोकसभा चुनाव के परिणाम को देखें तो यहां पर सपा को 95,391 वोट मिले वहीं भाजपा को 93,900 वो़ट मिले.
सपा यहां से 1491 वोटों से आगे रही। लोकसभा चुनाव के परिणाम के मुताबिक उपचुनाव में खैर विधानसभा में सपा का पलड़ा भारी रह सकता है. जबकि 2022 में खैर विधानसभा सीट पर भाजपा के अनूप प्रधान ने बसपा के चारु कैन को 74 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था.
कुंदरकी विधानसभा
कुंदरकी विधानसभा संभल लोकसभा सीट में आती है. लोकसभा चुनाव में संभल सीट पर जियाउर्रहमान बर्क जीतने के बाद कुंदरकी विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया है. कुंदरकी सीट पर सपा के जियाउर्रहमान बर्क विधायक थे. जियाउर्रहमान बर्क इस्तीफे के बाद कुंदरकी विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. इस लोकसभा चुनाव के परिणाम को देखें तो यहां पर सपा को 1,43,415 वोट मिले वहीं भाजपा को 86,371 वो़ट मिले. सपा यहां से लगभग 57 हजार वोटों से आगे रही. लोकसभा चुनाव के परिणाम के मुताबिक उपचुनाव में यहां सपा का पलड़ा भारी रह सकता है. जबकि 2022 का चुनाव सपा ने 43 हजार वोटों से इस विधानसभा सीट को जीता था.
मझवा विधानसभा
मिर्जापुर लोकसभा में आने वाली मझवा भाजपा के सहयोगी निषाद पार्टी के विधायक विनोद बिंद के इस्तीफे के बाद खाली हुई है. विनोद बिंद भाजपा से भदोही लोकसभा सीट से जीत दर्ज की है. मझवा में लोकसभा चुनाव के परिणाम को देखें तो यहां पर सपा को 92,299 वोट मिले वहीं भाजपा के सहयोगी अपना दल (S) को 94,061 वो़ट मिले. भाजपा सहयोगी यहां से 17,62वोटों से आगे रहे. लोकसभा चुनाव के परिणाम के मुताबिक उपचुनाव में यहां भाजपा सहयोगी का पलड़ा भारी रह सकता है. 2022 चुनाव में निषाद पार्टी ने लगभग 33 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी.
फूलपुर विधानसभा
फूलपुर विधानसभा से भाजपा के प्रवीण पटेल विधायक थे. प्रवीण पटेल सांसद चुने गए हैं. प्रवीण पटेल के इस्तीफे के बाद फूलपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. इस लोकसभा चुनाव के परिणाम को देखें तो यहां से सपा को भाजपा के मुकाबले 18 हजार से ज्यादा वोट मिले हैं. बता दें कि 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी ने तीन हजार वोट से दर्ज की थी.
गाजियाबाद विधानसभा
गाजियाबाद विधानसभा सीट भाजपा के अतुल गर्ग के इस्तीफे के बाद खाली हुई है. अतुल गर्ग अब गाजियाबाद के सांसद हैं. अतुल गर्ग के इस्तीफे के बाद गाजियाबाद विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. बात करें इस लोकसभा चुनाव की तो गाजियाबाद विधानसभा सीट पर 1,37, 206 वोट मिले. वहीं कांग्रेस की डॉली शर्मा को 73, 950 वोट मिले. भाजपा इस सीट से लगभग 63 हजार वोट से आगे रही. इस परिणाम के आधार पर कहा जा सका है कि उपचुनाव में फिलहाल यहां से भाजपा सहयोगी का पलड़ा भारी है. 2022 के विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी ने एक लाख से ज़्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी.
मिल्कीपुर विधानसभा
फैजाबाद लोकसभा में आने वाली मिल्कीपुर विधानसभा सपा के अवधेश प्रसाद के इस्तीफे के बाद खाली हुई है. अवधेश प्रसाद अब फैजाबाद लोकसभा से सांसद हैं. वहीं अवधेश प्रसाद के इस्तीफे के बाद मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. बात करें इस लोकसभा चुनाव की बात करें तो मिल्कीपुर विधानसभा में सपा को भाजपा के मुकाबले सात हजार से ज्यादा वोट मिले हैं. वहीं 2022 विधानसभा चुनाव में यहां सपा के अवधेश प्रसाद ने भाजपा के बाबा गोरखनाथ को 12 हजार 923 वोटों से हराया था.
मीरापुर विधानसभा
लोकसभा चुनाव जीतने के बाद मीरापुर विधानसभा सीट से दीपक सैनी ने इस्तीफा दे दिया है. मीरापुर विधानसभा बिजनौर लोकसभा में आती है. दीपक सैनी के इस्तीफे के बाद मीरापुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. बात करें इस लोकसभा के परिणाम की तो मीरापुर विधानसभा में रालोद को 72,320 वोट मिले तो वहीं सपा के दीपक सैनी को 63,351 वोट मिले. भाजपा सहयोगी इस सीट से लगभग 9 हजार वोट से आगे रहे.
इस परिणाम के आधार पर कहा जा सका है कि उपचुनाव में फिलहाल यहां से भाजपा सहयोगी का पलड़ा भारी है. 2022 में रालोद ने सपा के साथ चुनाव लड़ा था तब वो इस सीट पर 27 हजार वोटो से आगे थे. इस बार रालोद का भाजपा के साथ गठबंधन है.
कटेहरी विधानसभा
कटेहरी विधानसभा सीट अंबेडकरनगर जिले में आती है. अंबेडकरनगर लोकसभा से चुनाव जीतने के बाद लालजी वर्मा ने कटेहरी विधानसभा से इस्तीफा दे दिया है. लाल जी वर्मा के इस्तीफे के बाद कटेहरी विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. 2022 में कटेहरी में कुल 37.78 प्रतिशत वोट पड़े. 2022 में सपा से लालजी वर्मा ने अवधेश कुमार को 7696 वोटों के से हराया था.
सीसामऊ विधानसभा
सीसामऊ विधानसभा सीट कानपुर जिले में आती है. सपा से हाजी इरफान सोलंकी को एक आगजनी के मामले में उनकी विधायकी चली गई. सीसामऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. 2022 में सीसामऊ में कुल 50.68 प्रतिशत वोट पड़े थे. 2022 में सपा से हाजी इरफान सोलंकी ने भाजपा के सलिल विश्नोई को 12266 वोटों से हराया था. सोलंकी तीन बार सपा विधायक रहे हैं,लेकिन उनसे पहले दो बार कांग्रेस ने यह सीट जीती थी.
बता दें कि लोकसभा में जबरदस्त वापसी करने के बाद इंडिया गठबंधन फिर से एक बार होने वाले उपचुनाव में उसी प्रदर्शन को बरकार रखना चाहेगा. वहीं दूसरी तरफ भाजपा और उसके सहयोगी दल मिलकर एक बार फिर इंडिया गठबंधन को घेरने की कोशिश करेंगे और साथ ही लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन करने के बाद भाजपा और उसके सहयोगी दल इस होने वाले उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करेंगे.