सपा-कांग्रेस ने कैसे पलटी बाजी? जो मुलायम न कर सके, वह अखिलेश ने कर दिखाया

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों में सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में मुकाबला दिलचस्प नजर आया। भाजपा और सपा-कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर रही। 2019 के मुकाबले भाजपा को बड़ा झटका लगा। वहीं, सपा वोट प्रतिशत के लिहाज से अपना सर्वश्रेठ प्रदर्शन करती दिखाई दे रही है। सीटों के हिलाज से भी अखिलेश यादव की पार्टी को बड़ा फायदा होता दिख रहा है।अखिलेश सपा के चुनावी इतिहास का सबसे बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। लोकसभा सीटों के लिहाज से सपा ऐसा प्रदर्शन मुलायम सिंह यादव के समय भी नहीं कर पाई थी।

सपा के इस प्रदर्शन के क्या मायने हैं? पार्टी की सीटें बढ़ने की वजह क्या है? क्या यह वोट शेयर के लिहाज से सपा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है? बीते चुनावों में सपा प्रदर्शन कैसा रहा था? पार्टी को कब कितना वोट शेयर मिला? किस लोकसभा चुनाव में सपा ने कितनी सीटें जीती थीं? आइये जानते हैं…
सपा के इस प्रदर्शन के क्या मायने हैं?
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी करीब 37-38 सीटें जीतती दिखाई दे रही है। सत्ताधारी भाजपा को भी 32-33 के आसपास सीटें मिलने के आसार हैं। रुझान नतीजों में बदलते हैं तो ये कहा जाएगा कि सपा और कांग्रेस को गठबंधन से फायदा हुआ। दोनों दलों ने एक दूसरे को वोट ट्रांसफर भी किए। इन नतीजों के बाद उत्तर प्रदेश में विपक्ष में नया आत्मविश्वास आएग। इसके साथ ही राज्य सरकार की नीतियों और फैसलों के खिलाफ विपक्ष और आक्रामक होगा।
सपा और कांग्रेस की सीटें बढ़ने की वजह क्या है?
सपा और कांग्रेस के आगे बढ़ने की एक बड़ी वजह उत्तर प्रदेश में मायावती की पार्टी बसपा का वोट शेयर घटना रहा। कभी इस पार्टी के लिए कहा जाता था कि बसपा का करीब 20 फीसदी वोटर ऐसा है जो पूरी तरह उसके साथ रहता है। इस चुनाव यह वोट शेयर घटकर नौ फीसदी के करीब रह गया। दलित वोटों का बसपा से दुराव और सपा-कांग्रेस गठबंधन की तरफ जाना भी इसकी एक वजह रही। वहीं, मुस्लिम वोटों का एकमुश्त सपा-कांग्रेस गठबंधन को वोट देने से भी इस गठबंधन को फायदा हुआ।

क्या यह वोट शेयर के लिहाज से सपा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है?
वोट शेयर के लिहाज से देखेंगे तो यह सपा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। 2004 में पार्टी ने 35 सीटों पर जीत दर्ज की थी। तब उसका वोट शेयर 26.74 फीसदी रहा था। वोट शेयर के लिहाज से पार्टी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1998 में था जब उसे 28.7 फीसदी वोट मिले थे। उस चुनाव में पार्टी 20 सीटें जीतने में सफल रही थी। इस बार समाजवादी पार्टी को 33 फीसदी से ज्यादा वोट मिलते दिख रहे हैं। वहीं, सपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस पार्टी को भी 10 फीसदी से ज्यादा वोट मिल सकता है। इस लिहाज से यह गठबंधन 43 फीसदी से ज्यादा वोट पाता दिख रहा है।

बीते चुनावों में सपा प्रदर्शन कैसा रहा था? 

  • अक्तूबर 1992 में समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी। पार्टी ने अपना पहला लोकसभा चुनाव साल 1996 में लड़ा। उत्तर प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टी को इस चुनाव में ही 16 सीटें मिलीं। 1996 में सपा को राज्य में 20.84% मत मिले थे। अगले लोकसभा चुनाव 1998 में कराए गए। इस चुनाव में सपा ने अपना जनाधार बढ़ाया और सीटों की संख्या बढ़कर 20 हो गई। वहीं पार्टी के खाते में 28.7% मत गए। 
  • 1999 के लोकसभा चुनाव में सपा का जनाधार घट गया, लेकिन सीटों की संख्या बढ़ गई। इस चुनाव में पार्टी के खाते में 24.06% मत गए तो इसके 26 सांसद जीतकर लोकसभा पहुंचे। 2004 में सपा ने अपना प्रदर्शन और सुधारा। इस चुनाव में सपा को 35 सीटें आईं। वहीं पार्टी को 26.74% वोट मिले।
  • अगले लोकसभा चुनाव 2009 में हुए। इस चुनाव में सपा का जनाधार घट गया और सीटों की संख्या भी कम हो गई। इस चुनाव में पार्टी के खाते में 23.26% मत गए तो इसके 23 सांसद जीतकर लोकसभा पहुंचे। 2014 में सपा को केवल पांच सीटें मिलीं। पार्टी का वोट शेयर 22.18% रह गया। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा ने बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में सपा के खाते में 17.96% मत गए तो इसके केवल पांच सांसद जीतकर लोकसभा पहुंचे। सपा के लिए मत प्रतिशत सबसे कम इसी चुनाव में रहा। 
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