नई दिल्ली;डिजिटल और वर्चुअल हो रही दुनिया में बच्चों का ऑनलाइन यौन शोषण (Child Sexual Abuse) एक छिपी हुई महामारी बनता जा रहा है और इससे बच्चों को बचाना एक विकट चुनौती साबित हो रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के चाइल्डलाइट ग्लोबल चाइल्ड सेफ्टी इंस्टीट्यूट के अध्ययन में यह पाया गया है हर एक सेकेंड बच्चे की कोई सेक्सुअल तस्वीर डिजिटल दुनिया में प्रकट होती है और हर स्कूल, हर क्लासरूम और हर देश में बच्चे इसका शिकार हो रहे हैं। अध्ययन के अनुसार, दुनिया भर में पिछले 12 महीने में 30 करोड़ से ज्यादा 18 साल से कम के बच्चे ऑनलाइन यौन शोषण और दुर्व्यवहार का शिकार हुए। इस तरह के मामलों में वैश्विक आंकड़ों का पहला अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका में इस तरह के चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मटैरियल (CSAM) होस्टिंग के सबसे अधिक मामले सामने आते हैं।
लड़के खासतौर पर खतरे में
चाइल्डलाइट के प्रमुख पॉल स्टैन्फील्ड ने बताया, “बच्चों के यौन उत्पीड़न की संख्या इतनी बड़ी है कि औसतन हर सेकंड पुलिस या किसी समाजसेवी संस्था को इस तरह की घटना की शिकायत मिलती है. यह एक वैश्विक स्वास्थ्य महामारी है जो जरूरत से ज्यादा समय से ढकी-छिपी रही है. ऐसा हर देश में होता है और बहुत तेजी से बढ़ रहा है. इसके लिए वैश्विक स्तर पर कदम उठाए जाने की जरूरत है.”
पिछले महीने की ब्रिटेन की पुलिस ने चेतावनी जारी की थी कि पश्चिमी अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया में सक्रिय गिरोह ब्रिटिश किशोरों को यौन उत्पीड़न के बाद ब्लैकमेल का शिकार बना रहे हैं.
सरकारी और गैरसरकारी संस्थाओं के मुताबिक किशोर लड़कों के साथ यौन उत्पीड़न के मामलों में खासतौर पर तेजी देखी जा रही है. ब्रिटेन की नेशनल क्राइम एजेंसी (एनसीए) ने लाखों शिक्षकों को चेताया था कि वे अपने छात्रों के साथ ऐसे किसी व्यवहार को लेकर सजग रहें.
उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप से भी ज्यादा मामले
रिपोर्ट के मुताबिक (Child Sexual Abuse) यहां हजार में से हर नौवां व्यक्ति इस कुकृत्य में शामिल है। इसके अलावा उत्तरी अमरीका और पश्चिमी यूरोप उन दो यूनिसेफ क्षेत्रों में शामिल हैं जहां चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मटैरियल CSAM बेहद ज्यादा है। अमरीका में तो हर 9वां व्यक्ति इसमें शरीक है। जबकि कुल चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मटैरियल CSAM के मामलों पर गौर करें तो एशिया में इसके सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए जा रहे हैं। रिसर्च में दावा किया गया है कि अमरीका (USA) में हर 11वें पुरुष, ब्रिटेन में 7 फीसदी पुरुष और आस्ट्रेलिया में 7.5 फीसदी पुरुषों ने ये स्वीकार किया कि वे कभी न कभी ऐसे ऑनलाइन आचरण में शामिल रहे हैं, जिसे बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार की संज्ञा दी जा सकती है।
एशिया में सबसे ज्यादा ऑनलाइन चाइल्ड एब्यूज
रिपोर्ट के अनुसार, एशिया में भी विशेष रूप से दक्षिण एशिया, पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में संख्यात्मक रूप से सबसे अधिक सीएसएएम (Child Sexual Abuse) के मामले दर्ज किए गए। पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में हर 10 में से एक बच्चे ऑनलाइन सेक्सुअल आमंत्रण का सामना किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस संबंध में दक्षिण एशिया से जुड़े आंकड़ों की उपलब्धता की भारी कमी है।
पूर्वी यूरोप में सर्वाधिक अनचाही तस्वीरें
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में बच्चों की अनचाही सेक्सुअल तस्वीरों और वीडियो को देखना, उनको शेयर करना और उनको लेना सबसे अधिक प्रचलन में है।
भारत में कई गुना वृद्धि
भारत में इस तरह के अपराधों में तेजी से वृद्धि देखी गई है. पिछले साल आई एक रिपोर्ट के मुताबिक 2019 के बाद से भारत में बच्चों के ऑनलाइन यौन शोषण के मामलों में 87 फीसदी की वृद्धि हुई. नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉयटेड चिल्ड्रन नामक संस्था की इस रिपोर्ट में बताया गया कि बच्चों के यौन शोषण की ऑनलाइन सामग्री में 3.2 करोड़ का इजाफा हुआ है.
वी प्रोटेक्ट ग्लोबल अलांयस’ ने अक्तूबर में अपनी चौथी सालाना रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें बताया गया कि 2021 में उसके सर्वेक्षण में 54 फीसदी प्रतिभागियों ने माना कि बचपन में उन्हें ऑनलाइन यौन शोषण का सामना करना पड़ा. साथ ही, 2020 से 2022 के बीच बच्चों के अपनी निजी तस्वीरें या वीडियो इंटरनेट पर साझा करने के मामलों में 360 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.
इस रिपोर्ट में कहा गया कि सोशल ऑनलाइन गेमिंग प्लैटफॉर्म खासतौर पर बच्चों के यौन शोषण के गढ़ बन रहे हैं. शोधकर्ताओं ने पाया कि कई बार तो बच्चों को फांसने में 19 सेकंड का समय लगता है जबकि औसतन समय 45 मिनट है.
निजी तस्वीरों के आधार पर धन ऐंठने के मामले 2021 में 139 थे जबकि 2022 में इनकी संख्या दस हजार को पार कर गई.
अफ्रीका में मांग ज्यादा
रिपोर्ट के अनुसार पूर्वी अफ्रीका, दक्षिण अफ्रीका, पश्चिम अफ्रीका और मध्य अफ्रीका में बच्चों को सेक्सुअल आमंत्रण भेजना काफी ज्यादा है। यहां इंटरनेट का कम प्रचलन देखते हुए इस इलाके से इतनी ज्यादा इस तरह की गतिविधियां भविष्य के लिए चेतावनी है।
बच्चों का सेक्सुअल उत्पीड़न (आंकड़ों में)
1- हर सेकेंड बच्चों के साथ ऑनलाइन यौन दुर्व्यवहार का एक केस
2- अमरीका में हर नौवां व्यक्ति कर रहा बच्चों से दुर्व्यवहार
3- 8 में एक बच्चे को मिलती हैं अनचाहे सेक्सुअल तस्वीरें
4- 12.5 फीसदी बच्चों को मिलते हैं अनचाहे सेक्सुअल आमंत्रण
5- 3.5 फीसदी बच्चों ने किया सेक्सुअल फिरौती का सामना
6– बच्चों के ऑनलाइन यौनशोषण के उदाहरण
7– अनचाही सेक्सुअल तस्वीरें, वीडियो लेना और भेजना, शेयर करना
8- सेक्सटार्शन – बच्चों की सेक्सुअल छवियों के नाम पर फिरौती मांगना
9- डीपफेक के जरिए बच्चों की सेक्सुअल तस्वीरें तैयार करना
10- बच्चों के साथ ऑनलाइन यौन संवाद