भोपाल। मध्य प्रदेश में एक बार फिर मिड डे मील के नाम पर बड़ी धांधली उजागर हुई। बच्चों के भोजन के नाम पर करोड़ों रुपए का चूना लगाया जा रहा है। यह जानकर आपको अचरज होगा कि जांच के दायरे में 49 हजार से ज्यादा सरकारी स्कूलों को शामिल किया गया है। कागजों में बांटा जा रहा बच्चों को सरकारी भोजन का मामला कुल 23 जिलों का है। छोटे स्तर पर हुई इस बड़ी धांधली को केंद्र सरकार ने पकड़ा। साथ ही राज्य सरकार को पत्र लिख तत्काल जांच और कार्रवाई का निर्देश दिया।
दरअसल, मध्यप्रदेश में 1 मई से ग्रीष्मकालीन अवकाश जारी है। 15 जून के बाद स्कूल खुलेंगे। लेकिन, 23 जिलों में न सिर्फ कागजों में भोजन बांटा जा रहा है। बल्कि जानकारी ऑनलाइन पोर्टल पर भी दर्ज की गई। गड़बड़ी को छिपाने के लिए अवकाश के दिनों को छोड़ कर बाकि तारीखों में एंट्री की गई। बता दें कि प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण कार्यक्रम के आटो मॉनिटरिंग सिस्टम में मिड डे मील की जानकारी दर्ज की जाती है। बता दें कि प्राथमिक स्कूल के बच्चों को पांच और माध्यमिक विद्यालय के बच्चों को सात रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से भुगतान किया जाता है। यह काम भी समूहों द्वारा कराया जाता है। गड़बड़ी करने वाले जिलों में राजधानी भोपाल का नाम भी शामिल है।
केंद्र ने लिखा राज्य को पत्र, जांच के आदेश
बड़े स्तर की इस धांधली को लेकर केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को पत्र लिखा। साथ ही मामले पर नाराजगी भी जाहिर की। केंद्र ने राज्य को निर्देश दिया कि तत्काल मामले की जांच कर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। आगे के लिए भी सख्त निगरानी का निर्देश केंद्र ने राज्य को दिया। केंद्र के पत्र के बाद मंत्रालय में खलबली मची हुई है। साथ ही सभी 23 जिला कलेक्टर को जांच के आदेश भी जारी किए गए।
इन जिलों में हुई गड़बड़ी
बड़वानी, सतना , रायसेन, भिंड, गुना, जबलपुर, आगर मालवा, दमोह, झाबुआ, मंडला, मंदसौर, बालाघाट, बैतूल, भोपाल, डिंडोरी, नरसिंहपुर, रतलाम, सागर, सिवनी, शहडोल, श्योपुर, शिवपुरी और टीकमगढ़।