इंदौर: मप्र के औद्योगिक शहर इंदौर की जनता भीषण गर्मी से परेशान है। पारा लगातार 44 डिग्री के पार है और दिन हो या रात, लोग पसीने में तर हैं। शहर की 25 प्रतिशत जनता पानी के लिए तरस रही है और आधे से अधिक हिस्से के बोरिंग सूख चुके हैं। इन सबके बीच शहर के बीचों बीच बने हुकुमचंद मिल के मिनी फॉरेस्ट को खत्म करने की शुरुआत हो चुकी है। यह जमीन हाउसिंग बोर्ड को दे दी गई है जहां पर कई बड़े प्रोजेक्ट बनाए जाएंगे। हाउसिंग बोर्ड ने दो हजार से अधिक पेड़ों को काटने के लिए सूचीबद्ध कर लिया है और यह काउंटिंग जारी है। यहां पीपल, बरगद, नीम, चंदन के हजारों पेड़ हैं। शहर की जनता सोशल मीडिया पर विरोध प्रदर्शन कर रही है और कई संस्थाएं अब विधिवत आंदोलन की तैयारी कर रही हैं।
कितने पेड़ कटेंगे
हुकुमचंद मिल में हाउसिंग बोर्ड ने दो हजार से अधिक पेड़ों को काटने के लिए नंबरिंग कर दी है। सभी पेड़ों पर नंबर लिख दिए गए हैं। अभी हाउसिंग बोर्ड सूची बना रहा है फिर यह सूची नगर निगम के उद्यान विभाग को देगा। यहां पर छोटे बड़े पांच हजार से अधिक पेड़ हैं लेकिन बड़े पेड़ों की सूची में सिर्फ छह सौ से एक हजार पेड़ों को माना जा रहा है। जिनके तने एक निश्चित मोटाई से अधिक के हैं। इसमें भी उद्यान विभाग मौका मुआयना करने के बाद तय करेगा कि कितने पेड़ कटेंगे।
मिनी फॉरेस्ट खत्म होने से क्या नुकसान होगा
1. शहर का प्रमुख ऑक्सीजन जोन खत्म होगा
2. यहां के कुएं, बावड़ी बंद किए जाएंगे
3. हजारों पक्षियों का बसेरा खत्म होगा
4. इंदौर में बोरिंग का पानी और कम होगा
5. शहर के तापमान में और भी अधिक इजाफा होगा
अभ्यास मंडल मिनी फॉरेस्ट बनाना चाहता था
अभ्यास मंडल के शिवाजी मोहिते ने कहा कि हमने हुकुमचंद मिल का दौरा किया था और प्रशासन से मांग की थी कि इसे मिनी फॉरेस्ट के रूप में डेवलप करें। अब उसे हाउसिंग बोर्ड को दे दिया गया है और वह वहां पर प्रोजेक्ट लाएगा। वह शहर का सबसे खूबसूरत हरियाली से भरा क्षेत्र है।
जनहित पार्टी के अभय जैन और मनीष काले मिल परिसर में।
जनहित पार्टी ने शुरू किया आंदोलन
जनहित पार्टी ने मंगलवार से शहर में इन पेड़ों को बचाने के लिए आंदोलन शुरू कर दिया है। जनहित पार्टी के संस्थापक अभय जैन ने बताया कि हम लोगों से अपील कर रहे हैं कि वे इन पेड़ों को बचाने के लिए आगे आएं। हम आंदोलन करेंगे, धरना देंगे और कानूनी लड़ाई भी लड़ेंगे।
अभी हाउसिंग विभाग ने हमें सूची नहीं दी
उद्यान विभाग के दरोगा आशीष चौकसे ने बताया कि यहां पर छोटे बड़े पांच हजार से अधिक पेड़ हैं। हाउसिंग बोर्ड अभी पेड़ों की सूची बना रहा है। दो हजार से अधिक पेड़ों पर नंबर लगाए गए हैं। अभी हमें फाइनल सूची नहीं दी गई है। सूची मिलने के बाद उद्यान विभाग की टीम मौका मुआयना करेगी और फाइनल करेगी कि कितने पेड़ काटे जाएंगे।
मिल परिसर के अंदर और बार सैकड़ों पशु पक्षी रहते हैं।
संरक्षित करने का प्रयास करें
पर्यावरणविद् ओपी जोशी ने कहा कि शहर के बीच में बने यह ऑक्सीजन जोन बेहद कीमती हैं। सैकड़ों साल पुराने पेड़ों का विकल्प नए पौधे नहीं हो सकते। विदेशों में पेड़ों को बचाना सरकारों की प्राथमिकता होती है। इंदौर में भीषण गर्मी और भूमिगत जलस्तर खत्म हो चुका है। प्रशासन को प्रयास करना चाहिए कि इन बेशकीमती पेड़ों को बचाया जाए। यही शहर की असली संपत्ति हैं।
विजय रामदास महाराज
चार पीढ़ी से कर रहे सेवा
यहां पर एक राम हनुमान मंदिर भी बना है। इस मंदिर में विजय रामदास महाराज चार पीढ़ीयों से सेवा कर रहे हैं। हुकुमचंद सेठ ने उन्हें यहां पर मंदिर बनाने की जमीन दी थी। उन्होंने बताया कि यहां पर सैकड़ों मोर, कबूतर, गिलहरी, गाय, बकरी आदि जानवर रहते हैं। यहां पर हजारों पेड़ हैं और कई पेड़ सैकड़ों साल पुराने हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में गर्मी से परेशान लोग ठंडक और सुकून के लिए यहां पर आते हैं।