इंदौर. केंद्र सरकार के रिटायर्ड कर्मचारी द्वारा आरएसएस में काम करने की याचिका पर इंदौर हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई. दरअसल, रिटायर्ड कर्मचारी ने कोर्ट में याचिका लगाई थी कि रिटायरमेंट के बाद उन्हें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़कर सेवा करनी है. लेकिन सरकार के कई नियम इसमें बाधा बन रहे हैं, जिसके बाद रिटायर्ड कर्मचारी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इससे पहले कोर्ट ने केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय से जवाब मांगा था. 4 बार समय लेने के बाद भी मंत्रालय इस मामले में अपना पक्ष नहीं रख पाया था, जिसके बाद कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी. इसके बाद बुधवार को सरकार की ओर से पक्ष कोर्ट में रखा गया.
क्या है आरएसएस में काम करने का मामला?
दरअसल, ये याचिका लगाई है इंदौर में केंद्र सरकार के रिटायर्ड अधिकारी पुरुषोत्तम गुप्ता ने. उन्होंने पिछले साल इंदौर हाई कोर्ट में आचरण नियम को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की थी. इस याचिका में उन्होंने कहा कि वे केंद्र सरकार में एक पद पर पदस्थ थे और रिटायर होने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर सेवा के कार्य करना चाहते हैं, लेकिन एक सरकारी नियम इसमें बाधा बन रहा है.
गृहमंत्री से हुई चर्चा, जल्द लेंगे फैसला
बुधवार को इंदौर हाई कोर्ट में इस पूरे मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान इंदौर हाई कोर्ट में विजुअली केंद्रीय गृह सचिव सहित अन्य अधिकारी उपस्थित हुए. इसी दौरान विजुअल एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से अपना पक्ष रखा. उन्होंने इंदौर हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क रखा कि इस पूरे मामले में उनकी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से चर्चा हो गई है और अब अगली सुनवाई से पहले सरकार पूरे मामले में निर्णय ले सकती है. एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को सुनने के बाद कोर्ट इस पूरे मामले में अब जुलाई में सुनवाई करेगा.
केंद्र बदल सकता है आचरण नियम?
केंद्र सरकार के रिटायर्ड अधिकारी पुरुषोत्तम गुप्ता आरएसएस से इसलिए नहीं जुड़ पा रहे हैं, क्योंकि केंद्र सरकार का आचरण नियम ऐसे रिटायर्ड अधिकारियों को किसी संस्था से जुड़ने से रोकता है. याचिका में ऐसे नियम में बदलाव करने की मांग की गई है.