नई दिल्ली
प्रधानमंत्री को सलाह देने वाली इकोनॉमिक एडवायजरी काउंसिल ने काफी अहम आंकड़ा जारी किया है। काउंसिल की ओर से जारी किए गए एक वर्किंग पेपर के मुताबिक, भारत में 1950 के बाद से हिंदुओं की आबादी में बड़ी गिरावट देखी गई है। वहीं, मुस्लिमों की आबादी का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। बहुसंख्यकों की आबादी में गिरावट का ये ट्रेंड नेपाल और म्यांमार में भी देखा गया है। हालांकि, 38 इस्लामिक देशों में मु्स्लिमों की आबादी में बढ़ोतरी देखी गई है। आइए समझते हैं इन आकड़ों को आसान भाषा में।
हिंदुओं की आबादी में कमी
इकोनॉमिक एडवायजरी काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में साल 1950 से 2015 के बीच हिंदुओं की आबादी 7.82 फीसदी कम हो गई है। वहीं, इसी दौरान मुस्लिमों की आबादी में 43.15 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आसान भाषा में समझें तो 1950 में हिंदू 84.68 प्रतिशत थे। हालांकि, 2015 में हिंदुओं की हिस्सेदारी 78.06 फीसदी पर आ गई। इस दौरान हिंदुओं की आबादी में 7.82 प्रतिशत की कमी हुई। वहीं, 1950 में मुस्लिम भारत में 9.84 फीसदी थे। 2015 में बढ़ोतरी के साथ ये संख्या 14.09 फीसदी हो गई है। 1951-2015 के बीच मुस्लिमों की आबादी में 43.15 फीसदी का इजाफा देखा गया।
भारत में फल-फूल रहे हैं अल्पसंख्यक
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट बताती है कि भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं काफी अच्छी तरह फल-फूल रहे हैं। भारत में सिर्फ मुस्लिम ही नहीं बल्कि सिख और ईसाई धर्म की आबादी में भी बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश में सिख आबादी में 6.58 प्रतिशत और ईसाई आबादी में 5.38 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, देश में पारसी और जैन धर्म के लोगों की आबादी घटी है।
मुस्लिमों देशों में अलग है ट्रेंड
किसी मुस्लिम बहुल देश में आबादी में परिवर्तन का ये ट्रेंड थोड़ा अलग है। जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक, 38 मुस्लिम बहुल देशों में मुसलमानों की हिस्सेदारी बढ़ी है। पाकिस्तान में 1950 में मुस्लिम 77.45 फीसदी थे। अब पड़ोसी देश में मुस्लिम 80.36 प्रतिशत हो गए। इस दौरान बांग्लादेश में मुस्लिम 74.24 प्रतिशत से बढ़कर 88.02 प्रतिशत हो गए। अफगानिस्तान में मुस्लिम आबादी 88.75 प्रतिशत से बढ़कर 89.01 प्रतिशत हो गई। मालदीव में मुस्लिम 99.83 प्रतिशत से घटकर 98.36 प्रतिशत हैं जो कि मामूली गिरावट है।
भारत के इन पड़ोसियों का हाल भी जानें
इस रिपोर्ट में म्यांमार में बौद्धों की आबादी 78.53 प्रतिशत से घटकर 70.80 प्रतिशत, श्रीलंका में बौद्धों की आबादी 64.28 प्रतिशत से बढ़कर 67.65 प्रतिशत और भूटान में बौद्धों की आबादी 71.44 प्रतिशत से बढ़कर 84.07 प्रतिशत हो गई है। हालांकि, दूसरी ओर नेपाल में देखें तो हिंदुओं की आबादी 84.30 प्रतिशत से घटकर 81.26 प्रतिशत हो गई है।
मुस्लिम बहुल 38 देशों में मुस्लिम आबादी बढ़ी
रिपोर्ट के अनुसार इन देशों में 65 सालों में बहुसंख्यकों की आबादी में 22 फीसद की कमी आई है। लेकिन यह सिलसिला मुस्लिम बहुसंख्यक देशों पर लागू नहीं होता है। मुस्लिम बहुल 38 देशों में मुस्लिम आबादी बढ़ी है। रिपोर्ट का उद्देश्य किसी देश की जनसांख्यिकी परिवर्तन का वहां की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और शासन प्रणाली पर पड़ने वाले असर का आकलन है।
बौद्ध आबादी में भी आई गिरावट
दक्षिण एशियाई देशों में 65 साल में आए जनसांख्यिकी परिवर्तन की तस्वीर पेश करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि म्यांमार में बहुसंख्यक बौद्ध आबादी 78.53 फीसद से घटकर 70.80 फीसद रह गई है। जबकि श्रीलंका में बहुसंख्यक बौद्धों की आबादी में 64.28 से बढ़कर 67.65 फीसद हो गई है। श्रीलंका की तरह ही भूटान में भी बौद्धों की आबादी में जबरदस्त इजाफा हुआ है और यह 71.44 फीसद से बढ़कर 84.07 फीसद पहुंच गई।
जबकि भारत में हिंदू आबादी में कमी का सिलसिला नेपाल में भी देखा गया और वहां हिंदुओं की संख्या 84.30 फीसद से घटकर 81.26 फीसद तक पहुंच गई। भारत में मुसलमानों के साथ ही ईसाई और सिख अल्पसंख्यक की आबादी में क्रमश: 5.38 फीसद और 6.58 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।
पारसी और जैन अल्पसंख्यक आबादी में भी आई गिरावट
वहीं पारसी और जैन अल्पसंख्यक आबादी में कमी दर्ज की गई। पड़ोसी पाकिस्तान में 1950 में 77.45 फीसद मुस्लिम आबादी थी, जो 2015 में बढ़कर 80.36 फीसद पहुंच गई। मुस्लिम आबादी में सबसे तेज बढ़ोतरी बांग्लादेश में देखने को मिली, दो 65 सालों में 74.24 से बढ़कर 88.02 फीसद तक पहुंच गई।
अफगानिस्तान में भी मुस्लिम आबादी 88.75 फीसद से बढ़कर 89.01 फीसद पहुंच गई। दक्षिण एशिया में अकेले मालदीव में मुस्लिम आबादी में मामूली गिरावट दर्ज की गई है, जो 99.83 फीसद से घटकर 98.36 फीसद पर आ गई है।