हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया के पर्व का विशेष महत्व होता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह तिथि बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण मानी गई है. तृतीया मां गौरी की तिथि है कि इस दिन गृहस्थ जीवन में सुख-शांति की कामना से की गई प्रार्थना तुरंत स्वीकार होती है. गृहस्थ जीवन को निष्कंटक रखने के लिए इस दिन उनकी पूजा की जाना चाहिए. इस वर्ष अक्षय तृतीया का पावन त्योहार 10 मई को है, ऐसे में आइए जानते हैं इस बार दान के बारे में. अक्षय तृतीया के दिन यह 14 दान है महत्वपूर्ण : 1. गौ, 2. भूमि, 3 . तिल, 4. स्वर्ण, 5 . घी, 6. वस्त्र, 7. धान्य, 8. गुड़, 9. चांदी, 10. नमक, 11. शहद, 12. मटकी, 13 खरबूजा और 14. कन्या को महत्त्वपूर्ण माना जाता है.
माना जाता है कि जो लोग इस दिन अपने सौभाग्य को दूसरों के साथ बांटते हैं वे ईश्वर की असीम अनुकंपा पाते हैं. इस दिन दिए गए दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. सुख समृद्धि और सौभाग्य की कामना से इस दिन शिव-पार्वती और नर नारायण की पूजा का विधान है.
अक्षय तृतीया का संबंध चन्द्रमा से होने के कारण इस दिन सबसे पहले पितृकर्म करने को कहा गया है. कहा जाता है कि इस दिन पितृ से संबंधित कर्म का फल सहस्त्रगुना होकर पितरों को प्राप्त होता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए अथवा स्नान करते समय जल में भी तीर्थ जल और अक्षत डालने चाहिए
अक्षय तृतीया तिथि और पूजा शुभ मुहूर्त
इस वर्ष अक्षय तृतीया का पर्व शुक्रवार, 10 मई को मनाया जाएगा. वैदिक पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 10 मई को सुबह 4 बजकर 17 मिनट पर होगी. वहीं इस तृतीया तिथि का समापन 11 मई 2024 को सुबह 02 बजकर 50 मिनट पर होगी. उदया तिथि के आधार पर 10 मई को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा. अक्षय तृतीया त्योहार पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 48 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा.