इंदौर। भारत में इंदौर शहर स्वच्छता में नंबर एक के पायदान पर तो है ही साथ ही अपने नवाचार और अन्य कारणों से भी हमेशा सुर्खियों में बना रहता है। यहां रहने वाले एक युवक ने अपनी अनोखी कला से प्रदेश का ही नहीं बल्कि देश का नाम रोशन किया है। तमाम कलाकारों के बीच वेस्टेज मटेरियल से कई सुंदर आकृतियां बना कर अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
मैकेनिकल इंजीनियर से कलाकार बनने तक का सफर
मैकेनिकल इंजीनियर देवल वर्मा ने बताया कि, शुरू से ही उन्हें कला से काफी प्रेम था। जिसके चलते उन्होंने स्वयं का एक स्टार्टअप शुरू किया। उन्होंने कहा कि जब लोग स्टार्टअप के बारे में जानते ही नहीं थे तब से वह यह काम कर रहे हैं। उन्होंने इसकी शुरुआत वेस्टेज मटेरियल के साथ की। जिससे उन्होंने अब तक कई सुंदर आकृतियां बनाई। जिसमें मुख्य रूप से हिरण, पशु, पक्षी, जलीय जीव से लेकर तमाम आकृतियां अपनी कला और टीम के माध्यम से तैयार कर चुके हैं।
350 किलो की है ये मूर्ति
जिसके बाद उन्होंने ऐसी ही एक श्री हनुमान जी महाराज की 350 किलो की 8:30 फीट लंबी बाहुबली रूप में आशीर्वाद देते हुए प्रतिमा को तैयार किया है। यह पूरी प्रतिमा स्टील पीतल तांबा और वेस्ट स्क्रैप के माध्यम से रिसाइकल करके तैयार की गई है। उन्होंने बताया कि, गुजरात के गोधरा में रेस्टोरेंट संचालक और कारोबारी द्वारा उन्हें बेहतर आकृति बनाने की बात की थी। जिसके बाद उन्होंने श्री हनुमान जी महाराज की प्रतिमा का प्रपोजल तैयार कर दिया।
प्रतिमा बनाने में लगा एक साल का वक्त
तीन महीने तक प्रपोजल तैयार करने के बाद एक साल के बाद आज प्रतिमा पूरी तरह से वेस्टेज स्क्रैप के माध्यम से तैयार हो गई है। प्रतिमा निर्माता वर्मा का कहना है कि श्री हनुमान जी महाराज को हम क्या बनाएंगे भगवान ने तो हमें यानी इंसानों को खुद बनाया है। लेकिन उनके प्रति हमारी श्रद्धा भाव मन में जैसे-जैसे आते जाते हैं वैसे-वैसे प्रतिमा का निर्माण होता गया। प्रतिमा भले ही किसी की भी हो लेकिन चेहरा हमेशा बेहतर निर्माण होना चाहिए और इसी भाव को लेकर इस प्रतिमा का निर्माण किया है।
भारत के कई कारोबारी के लिए काम
प्रतिमा की लागत लाखों रुपए है और जल्द अब इसे गुजरात के गोधरा भेजा जाएगा। जानकारी के अनुसार मुकेश अंबानी जैसे बड़े कई कारोबारी से लेकर विभिन्न संस्थाओं के लिए देवल वर्मा प्रतिमा का निर्माण कर चुके हैं। कलाकार देवल वर्मा का कहना है कि, इस कला से वेस्टीज स्क्रैप का तो रीसायकल होता ही है साथ ही एक अच्छा संदेश भी जाता है। वेस्टेज स्क्रैप को ढूंढने के लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ती है और साथ ही उस वेस्ट स्क्रैप को बेहतर तरीके से प्रतिमाओं में उपयोग करना उससे भी अधिक मेहनत लगती है।
इंदौर के मैकेनिकल इंजीनियर से युवा प्रेरणा ले रहे हैं। उनका कहना था कि सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें कई तरह के ऑर्डर आते हैं और ऐसे ही ऑर्डर श्री हनुमान जी प्रतिमा के लिए भी आया था। कला को लोग काफी पसंद कर रहे हैं और भविष्य में भी इसी तरह वह प्रतिमाओं का निर्माण करते रहेंगे।