सड़क दुर्घटना के घायलों को मिलेगा कैशलेस ट्रीटमेंट, जानें पूरा पायलट प्रोजेक्ट 

आगरा देश

देशभर के नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे पर होने एक्सीडेंट में घायल और हिट-एंड-रन के घायलों को कैशलेस ट्रीटमेंट मिलेगा. आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन की जनहित याचिका पर अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल करके ये जानकारी दी है, जिससे सड़क दुर्घटना में घायल भारतीय या विदेशी नागरिक को 1.5 लाख रुपये तक का कैशलेस ट्रीटमेंट मिलेगा. सरकार के दाखिल किए गए शपथपत्र के मुताबिक, सात दिन तक में घायल को 1.5 लाख रुपये का कैशलेस ट्रीटमेंट कराया जाएगा. इसका पायलट प्रोजेक्ट चंडीगढ में शुरू किया जा रहा है. पायलट प्रोजेक्ट सफल होने के बाद इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सड़क हादसों में घायलों के कैशलेस ट्रीटमेंट की जनहित याचिका पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की बेंच में सुनवाई की. डबल जज की बैंच ने इस मामले में सुनवाई की अगली तिथि 30 अप्रैल रखी है. 2023 में जनहित याचिका में उठाया था मामलाबता दें कि आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने सुप्रीम कोर्ट में सन 2023 में देशभर के सड़क हादसों में घायलों के कैशलेस ट्रीटमेंट के लिए जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें सड़क हादसों में घायलों को उपचार के लिए मोटर वाहन अधिनियम की धारा 162 की व्यवस्था के अनुसार सरकार से कैशलेस ट्रीटमेंट कर योजना बनाने की मांग की थी. अधिवक्ता केसी जैन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किए थे. दो दिन पूर्व केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया, जिसमें ही सड़क हादसों में घायल होने वाले भारतीय व विदेशी व्यक्ति का एक सप्ताह तक 1.5 लाख रुपये का कैशलेस ट्रीटमेंट कराने की जानकारी दी है. कम है ये कैपिंग रकम वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सड़क हादसों के घायलों के उपचार के लिए जो कैशलेस ट्रीटमेंट में 1.5 लाख रुपये की कैपिंग की है. ये कैपिंग उचित नहीं है. सड़क हादसे में हेड इंजरी, मल्टीपल फ्रेक्चर या बैकब्रोन इंजरी भी घायल को हो सकती हैं. जिनका उपचार 1.5 लाख रुपये में संभव नहीं है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई में अपना पक्ष रखेंगे. मांग करेंगे की समय सीमा और उपचार की रकम की कैपिंग अनलिमिटेड की जाए. 

जनहित याचिका पर बनाया था पायलट प्रोजेक्ट वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन की जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से मिले नोटिस पर केंद्र सरकार ने मंथन किया. इसके बाद केंद्र सरकार ने मोटर वाहनों से होनी वाली सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को कैशलेस उपचार उपलब्ध कराने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया. जो सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को कम करने की अपनी प्रतिबद्धता और मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 162 के तहत कानूनी जनादेश के अनुरूप में एक कदम है. इस बारे में मार्च 2024 में केंद्र सरकार ने एक विज्ञप्ति जारी की थी, जिसमें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से पायलट प्रोजेक्ट बनाने और उसे चंडीगढ़ में शुरू करने की जानकारी दी थी, जिसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA), पुलिस, अस्पतालों, राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (SHA) के समन्वय को शामिल किया है. 

ये है पायलट प्रोजेक्ट की रूपरेखा

  • दुर्घटना की तारीख से 7 दिनों की अधिकतम अवधि के लिए प्रति दुर्घटना प्रति व्यक्ति अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक के कैशलेस ट्रीटमेंट का प्रावधान.
  • नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे और अन्य सड़कों पर मोटर वाहन से होने वाली सभी सड़क दुर्घटनाओं पर ये कैशलेस ट्रीटमेंट का प्रावधान लागू होगा.
  • आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) पैकेजों को ट्रॉमा (मल्टीपल चोट) के मामलों के लिए शामिल किया जा रहा है.
  • उपचार प्रदान करने के लिए अस्पतालों की ओर से किए गए दावों की राशि मोटर वाहन दुर्घटना निधि से प्रतिपूर्ति की जाएगी.

बता दें कि ये प्रोजेक्ट एक आईटी प्लेटफॉर्म के जरिए लागू किया जाएगा. जो सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के ई-डीएआर एप्लिकेशन और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की लेन-देन प्रबंधन प्रणाली (टीएमएस) की कार्यक्षमताओं को जोड़ता है.

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