मध्य प्रदेश की धार भोजशाला का आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) शुक्रवार से कड़ी सुरक्षा के बीच सर्वे शुरू कर दिया है। हाईकोर्ट द्वारा भोजशाला का सर्वे कराने के आदेश को चुनौती देने के लिए एक याचिका मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई है, लेकिन कोर्ट ने तत्काल सुनवाई की मांग को खारिज कर दिया। इसके बाद अब सर्वे शनिवार को भी जारी रहेगा। इधर भोजशाला को लेकर अधीक्षक पुरातत्व विद् भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भोपाल मंडल का नया आदेश सामने आया है। 23 मार्च शनिवार से केंद्रीय संरक्षित स्मारक भोजशाला एवं कमाल मौला मस्जिद धार को 23 मार्च 2024 से सर्वेक्षण कार्य पूर्ण होने तक के लिए सर्वसाधारण एवं पर्यटकों के प्रवेश के लिए बंद किया गया है। माननीय उच्च न्यायालय इंदौर द्वारा 11 मार्च 2024 को धार की भोजशाला का वैज्ञानिक पद्धति से सर्वेक्षण उत्खनन एवं तत्संबंधी कार्य के आदेश का हवाला दिया गया है।
सर्वे के लिए गुरुवार को ही एएसआई का दल धार पहुंच गया था। सुबह छह बजे पांच विशेषज्ञों के साथ 15 अफसर और दो दर्जन कर्मचारियों के साथ सर्वे के लिए परिसर में दाखिल हुई। इसके बाद परिसर में खोदाई शुरू की गई। शुक्रवार को भोजशाला में नमाज भी पढ़ी जाती है। सर्वे के बीच मुस्लिम समाज के लोग भी परिसर में नमाज पढ़ने दाखिल हुए थे। प्रशासन ने भोजशाला परिसर के भीतर और बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। सुरक्षा जांच के बगैर किसी को भी भीतर जाने नहीं दिया जा रहा था। खोदाई के लिए जो कर्मचारी गए थे, उनकी भी जांच की गई। टीम ने भीतर जाकर परिसर की लंबाई और चौड़ाई नापी और वीडियोग्राफी की।
सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई की मांग खारिज की
भोजशाला सर्वे मामले में मुस्लिम पक्ष ने 16 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने सुनवाई के लिए 1 अप्रैल की तारीख तय की थी। लेकिन, शुक्रवार को सर्वे शुरू होने के बाद मुस्लिम पक्ष याचिका पर तुरंत सुनवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत सुनवाई से मना कर दिया। बता दें कि यह याचिका मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी ने दाखिल की है। जिसमें सर्वे से जुड़े हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
कल फिर शुरू होगा सर्वे
भोजशाला का सर्वे कर रही एएसआई की टीम और हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की ओर याचिकाकर्ता गोपाल शर्मा और आशीष गोयल भोजशाला से बाहर आ गए हैं। याचिकाकर्ता गोपाल शर्मा ने बताया कि अब शनिवार सुबह छह बजे से भोजशाला का सर्वे शुरू होगा।
हाईकोर्ट को सौंपी जाएगी रिपोर्ट
कई वर्षों से भोजशाला को लेकर विवाद है। उस पर हिन्दू और मुस्लिम अपना हक जताते हैं। हिन्दू पक्ष का कहना है कि यहां सरस्वती मंदिर है, जबकि मुस्लिम पक्ष भोजशाला को इबादतगाह बताता है। विशेषज्ञों की टीम खोदाई कर यह देखेगी कि भोजशाला का जब निर्माण हुआ था, तब उसकी बनावट किस शैली की है और पत्थरों पर किस तरह के चिन्ह अंकित हैं। टीम अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपेगी। जिसके आधार पर सुनवाई आगे बढ़ेगी।
कोर्ट ने सर्वे के लिए दिया छह सप्ताह का समय
11 मार्च को कोर्ट ने भोजशाला के सर्वे के आदेश दिए। तब छह सप्ताह के भीतर सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में रखने के लिए कहा गया था। आदेश के 11 दिन बाद एएसआई की टीम ने सर्वे शुरू किया। टीम कार्बन डेटिंग तकनीक से भोजशाला के भवन की उम्र का पता लगाएगी। इसे अलावा जीपीआरएस व अन्य तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। सर्वे के दौरान पूरे समय वीडियोग्राफी भी कराई जा रही है। पहले दिन भोजशाला की मौजूदा स्थिति की वीडियोग्राफी हुई। जिस हिस्से में खोदाई हो रही है और जहां होना है। वहां की वीडियोग्राफी पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है।
1902 में हुआ था सर्वे
भोजशाला का सर्वे वर्ष 1902 में भी किया गया जा चुका है। कोर्ट में इस सर्वे का हवाला आर्कियोलॉजिक्ल सर्वे ऑफ इंडिया ने भी दिया है। तब सर्वे में पाया गया था कि भोजशाला की वास्तुकला भारतीय शैली की है। वहां पर संस्कृत के शब्द, हिन्दू चिन्ह और भारतीय मंदिरों जैसी शैली का निर्माण है। उस रिपोर्ट में भोजशाला के जमीन के टायटल में मस्जिद का भी उल्लेख है। उसे आधार बनाते हुए मुस्लिम समाज भी भोजशाला पर हक जताता है।