तमिलनाडु में राज्य सरकार और राज्यपाल फिर आमने-सामने आ गए हैं। दरअसल राज्यपाल आरएन रवि ने सीएम स्टालिन की सिफारिश के बावजूद विधायक पद पर बहाल हुए के पोनमुडी को मंत्री पद की शपथ दिलाने से इनकार कर दिया है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में के पोनमुडी को मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था और उनकी विधायकी भी चली गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा पोनमुडी की सजा पर रोक लगाने के बाद राज्यपाल ने उन्हें मंत्री पद की शपथ दिलाने से इनकार कर दिया है।
राज्यपाल ने सीएम स्टालिन की सिफारिश मानने से किया इनकार
के पोनमुडी की विधायकी बहाल होने के बाद सीएम स्टालिन ने राज्यपाल आरएन रवि को चिट्ठी लिखी, जिसमें पोनमुडी को फिर से मंत्रीपद की शपथ दिलाने की सिफारिश की गई। इस चिट्ठी के जवाब में राज्यपाल ने रविवार को राज्य सरकार को चिट्ठी भेजी, जिसमें उन्होंने लिखा कि वह के पोनमुडी को मंत्री पद की शपथ नहीं दिला सकते क्योंकि पोनमुडी की दोषसिद्धि पर रोक नहीं लगाई है।
बता दें कि डीएमके के वरिष्ठ नेता के पोनमुडी और उनकी पत्नी विसालक्षी के खिलाफ विजिलेंस और भ्रष्टाचार रोधी निदेशालय ने मुकदमा दर्ज किया था। पोनमुडी डीएमके की मौजूदा सरकार में उच्च शिक्षा और खनन मंत्री थे। निचली अदालत ने पोनमुडी को बरी कर दिया था, जिसके बाद मामला हाईकोर्ट गया। बीते दिनों मद्रास उच्च न्यायालय ने के पोनमुडी और उनकी पत्नी को दोषी मानते हुए तीन साल कारावास की सजा सुनाई थी। सजा के चलते के पोनमुडी विधायक पद से अयोग्य घोषित हो गए और उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट से मिली थी राहत
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ पोनमुडी और उनकी पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। जहां सुप्रीम कोर्ट ने डीएमके नेता और उनकी पत्नी की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी। यही वजह रही कि सीएम स्टालिन ने पोनमुडी को फिर से मंत्री पद की शपथ दिलाने के लिए राज्यपाल आरएन रवि से सिफारिश की थी, जिससे राज्यपाल ने इनकार कर दिया है।