मध्य प्रदेश के चर्चित सेक्स स्कैंडल हनी ट्रैप मामले में सोमवार को इंदौर की स्पेशल कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में गठित एसआईटी के चीफ हाल ही में आदर्श कटियार को बनाया गया हैै। उन्हें कोर्ट के समक्ष पेश होकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को दिए गए नोटिस के बारे में जवाब देना था, लेकिन सरकारी वकील ने ट्रेनिंग का हवाला देकर उनके अनुपस्थित होने की वजह बताई। अब अगली सुनवाई दस फरवरी को होगी।
पिछले दिनों कमलनाथ ने मीडिया के सामने कहा था कि उनके पास हनीट्रैप की सीडी और पैन ड्राइव है। इस पर आरोपियों के वकील ने आपत्ति ली थी और कहा था कि सीडी और पैनड्राइव एसआईटी के पास होना चाहिए।
स्पेशल कोर्ट में सोमवार को हनी ट्रैप मामले की सुनवाई हुई। आरोपीगणों के वकील द्वारा सीआरपीसी 173 के प्रतिवेदन और पूर्व सीएम कमलनाथ के पास हनी ट्रैप की सीडी और पेन ड्राइव होने लेकर एसआईटी के जवाब का मामला कोर्ट में उठाया। शासकीय वकील ने कहा कि नए एसआईटी चीफ के नहीं आने के कारण जवाब पेश नहीं हो सका। सरकारी वकील ने यह भी कहा कि इस मामले में नाथ स्पोर्ट नहीं कर रहे है,जबकि उन्हें नोटिस भी देभा गया था। उधर एक आरोपी द्वारा कोर्ट में प्रतिवेदन प्रस्तुत कर कर मोबाइल की मांग की गई।
इसी मोबाइल को अपराध में इस्तेमाल किया गया था और वीडियो वायरल करने की धमकी दी गई थी। अब इस पूरे मामले में 10 को सुनवाई में दूसरे बिंदुओं का जवाब शासकीय अधिवक्ता देंगे। सीडी कमल नाथ तक कैसे पहुंची। इसका पता भी नही चल सका।
इस मामलेे में जांच अधिकारी ने नाथ को नोटिस देकर पेनड्राइव व सीडी कार्यालय मेें जमा करने को कहा था। अब नाथ ने नोटिस के जवाब में क्या किया। इसकी जानकारी अगली सुनवाई के दौरान नए एसआईटी चीफ इसके बारे मेें कोर्ट को स्थिति स्पष्ट करेेंगे।
इंदौर मेें हुआ था खुलासा
हनी ट्रैप मामले का खुलासा इंदौर मेें उस वक्त हुआ था,जब इंदौर नगर निगम के सिटी इंजीनियर हरभजन सिंह ने आरती दयाल, मोनिका यादव, श्वेता जैैन और श्वेता स्वप्निल जैन पर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया था। इसके बाद पुलिस ने इंदौर और भोपाल से ड्रायवर सहित पांचों युवतियों को गिरफ्तार कर लिया था।
बाद में पता चला था कि युवतियों ने कई राजनेता व नौकरशाहों के साथ हनी ट्रैप किया है। इंदौर में श्वेता जैन ने हरभजन सिंह से पैसे भी लिए थे। भाजपा प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने हनी ट्रैप मामले में कहा कि नाथ ने पहले कहा था कि उनके पास सीडी है। अब वे एसआईटी की जांच में मदद क्यों नहीं कर रहे है।