अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन एवं प्राण- प्रतिष्ठा समारोह में केंद्र सरकार और ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ के पदाधिकारी किसे आमंत्रित करना है, और किसे आमंत्रण के नाम पर अपमानित करना है, यह काफी सोच-विचार कर कर रहे हैं। भाजपा के पितृ-पुरुष लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के बाद अब तीसरा नाम सामने आया है जिससे निवेदन किया गया है कि वह राम मंदिर उद्घाटन एवं प्राण-प्रतिष्ठा समाहोर में न आए।
आश्चर्य की बात यह है कि एक तरफ संघ-भाजपा का हल्ला ब्रिगेड विपक्षी नेताओं को आमंत्रित करने के नाम पर उन्हें अपमानित कर रहा है तो दूसरी तरफ अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को जो उद्घाटन समारोह में आना चाहते हैं उनसे कार्यक्रम में न आने का निवेदन और अपील किया जा रहा है।
ताजा मामला मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का है। उन्होंने कहा कि वह भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या नहीं जाएंगे।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “22 जनवरी पूरे देश के लिए एक भावुक दिन होगा। हर कोई अभिषेक देखने के लिए अयोध्या जाना चाहता है। लेकिन प्रधानमंत्री ने अपील की है कि मैं अयोध्या न जाऊं क्योंकि वहां बहुत भीड़ होगी। इसलिए उद्धाटन समारोह के बाद मैं अयोध्या जाऊंगा।”
उन्होंने कहा कि उस दिन अयोध्या की जगह वह ओरछा राम राजा मंदिर में प्रार्थना करेंगे। “मैं वहां से समारोह देखूंगा और शाम को हम दीपोत्सव कार्यक्रम करेंगे। हम भाग्यशाली हैं कि हमारी आंखों के सामने भगवान राम का अभिषेक किया जाएगा। राम राज्य का युग शुरू हो गया है। हम अपने देश के विश्वगुरु बनने के लिए प्रार्थना करेंगे।”
पिछले कुछ दिनों से राम मंदिर उद्घाटन समारोह में शामिल होने और न होने को लेकर जमकर राजनीति की जा रही है। और यह सब प्रधानमंत्री कार्यालय के इशारे पर ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ के पदाधिकारी कर रहे हैं। जिसमें सबसे बड़ी भूमिका चंपत राय निभा रहे हैं। उनके विवादित बयानों से कई बार उद्घाटन समारोह को लेकर सवाल उठ रहे हैं। कुछ विपक्षी और वामपंथी पार्टियां जो इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होना चाहते उन्हें भाजपा सरकार और ट्रस्ट बुलाना चाहता है। और जो नेता और धर्मगुरु समारोह में आना चाहते हैं उन्हें बेइज्जत किया जा रहा है।
पिछले कुछ दिनों से पुरी शन्कराचार्य सहित चारों पीठ के शंकराचार्यों ने जिस प्रकार से राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े कुछ बुनियादी विसंगतियों पर सीधा प्रश्न खड़ा किया है, उससे ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ की प्रतिष्ठा को धक्का लगा है। वैसे भी हिंदू धर्म के सबसे प्रतिष्ठित धर्माचार्य ही अधूरे मंदिर को असंगत बताते हुए 22 जनवरी के मुहूर्त पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। अब सीपीआई (एम) के बाद कांग्रेस ने भाजपा-आरएसएस को मुश्किल में डाल दिया है।