ललित ने तय की 13 दिसंबर की तारीख, फिर मैसूरु में मिले, मानसून सत्र में रेकी; पूरी कहानी

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संसद हमले की 22वीं बरसी पर सुरक्षा में सेंध लगाने के मामले में छठा आरोपी ललित झा मास्टरमाइंड माना जा रहा है। दिल्ली पुलिस ने पांच गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के आधार पर बताया कि 13 दिसंबर की तारीख ललित ने ही तय की थी। मूल रूप से बिहार के रहने वाले ललित को बृहस्पतिवार को गिरफ्तार कर लिया गया। 

आरोपियों से पूछताछ के आधार पर मिली जानकारी के मुताबिक, ललित झा सभी आरोपियों से सोशल मीडिया पेज भगत सिंह फैन क्लब के जरिये मिला। चारों आरोपी करीब डेढ़ वर्ष पहले मैसूरू में मिले थे, उसके बाद से सोशल मीडिया के जरिये संपर्क में बने रहे। 

ललित ने ही सभी को गुरुग्राम बुलाया था। दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक संसद पर सांकेतिक हमले की साजिश ललित ने ही रची। बुधवार को जब ललित चारों आरोपियों के साथ संसद आया, तो उनमें से केवल दो लोगों के नाम पर पास थे। ऐसे में ललित ने सागर, मनोरंजन, नीलम और अमोल के फोन ले लिए। 

साम्यवादी एनजीओ से जुड़ा कनेक्शन: पश्चिम बंगाल के एनजीओ से भी ललित का कनेक्शन सामने आया है। साम्यवादी सुभाष सभा नाम के एनजीओ में ललित महासचिव था।

एनजीओ के संस्थापक नीलाक्ष एच का कहना है कि ललित शांत स्वभाव का था। ललित ने संसद में नारेबाजी व स्मोक फैलाने का वीडियो सबसे पहले नीलाक्ष को ही भेजा था। नीलाक्ष से पूछताछ के साथ ही उसके एनजीओ की फंडिंग की जांच भी की जा रही है। 

संसद की सुरक्षा में चूक के मामले में मास्टरमाइंड ललित झा ने गुरुवार रात को दिल्ली पुलिस के सामने समर्पण कर दिया। इस बात की जानकारी दिल्ली पुलिस ने दी है। अधिकारियों ने बताया कि आरोपी ललित से पूछताछ की जा रही है। 

बता दें कि ललित घटना के बाद से ही फरार चल रहा था। ललित को इस घटना में मास्टर माइंड बताया जा रहा था और इसकी तलाश में पुलिस लगातार जगह-जगह छापे मार रही थी। 

संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले पुलिस ने इससे पहले पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन ललित के बारे में कहीं कोई सुराग नहीं मिल पा रहा था। इससे पहले खबर आई थी कि ये राजस्थान में कहीं छिपा बैठा है लेकिन इसने खुद की थाने में पहुंचकर खुद को पुलिस के हवाले कर दिया। 

किसी संगठन से जुड़े होने के नहीं मिले सबूत
सूत्रों ने बताया कि आरोपियों का अभी तक किसी भी संगठन से जुड़े होने की कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। आरोपी सागर शर्मा और मनोरंजन ने संसद भवन में जाने के लिए पास का इंतजाम किया था। पुलिस ने बताया कि ये सभी आरोपी सोशल मीडिया ग्रुप भगत सिंह फैन क्लब से जुड़े हुए थे। 

डेढ़ साल पहले मैसूरु में मिले थे सभी आरोपी
पुलिस सूत्र के अनुसार, सभी आरोपी डेढ़ साल पहले मैसूरु में मिले थे। सागर लखनऊ से जुलाई में दिल्ली आया था, लेकिन संसद भवन में प्रवेश नहीं कर सका था। वहीं 10 दिसंबर को बाकी के आरोपी अपने-अपने राज्यों से दिल्ली पहुंचे। इंडिया गेट के पास वे इकट्ठा हुए जहां रंगीन पटाखे बांटे गए। पुलिस ने बताया कि गुप्त तरीके से आपत्तिजनक वस्तुओं को संसदभवन के अंदर ले जाया गया।

इन धाराओं में दर्ज हुए मामले
आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी, 453, 153, 186, 353 और यूएपीए की धारा 16 और 18 के तहत पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। 

मानसून सत्र के दौरान की रेकी
पुलिस के मुताबिक, ललित, सागर और मनोरंजन एक साल पहले मैसुरु में मिले। तभी संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने की साजिश रची। ललित ने उसे संसद भवन की रेकी करने को कहा। अफसरों के मुताबिक, जुलाई में मनोरंजन ने प्रवेश द्वारों की रेकी की और पाया कि जूतों की तलाशी नहीं ली जाती।

भगत सिंह सेवा समिति ने संबंध नकारे
आरोपियों को अंबाला के शहीद-ए-आजम भगत सिंह सेवा समिति से जुड़ा बताया जा रहा है। संगठन को बनाने वाले अंबाला के रूपोमाजरा गांव निवासी राजेश कुमार ने कहा उनका व उनके संगठन का इन आरोपियों से कोई लेना-देना नहीं है। 

ये था घटनाक्रम
यह घटना बुधवार दोपहर एक बजकर एक मिनट पर हुई। लोकसभा में पीठासीन अधिकारी राजेंद्र अग्रवाल शून्य काल की कार्यवाही को संचालित कर रहे थे। मालदा उत्तर से भाजपा सांसद खगेन मुर्मू अपनी बात रख रहे थे। तभी दो शख्स दर्शक दीर्घा से नीचे कूद गए।

नीले रंग की जैकेट पहना एक शख्स सांसदों की सीट पर कूदने लगा। वह लगभग तीन कतार लांघकर आसन की तरफ जाने लगा। अफरा-तफरी के माहौल के बीच कुछ सांसदों ने हिम्मत दिखाकर उसे घेर लिया। मार्शल भी दौड़कर आ गए। तभी उस युवक ने जूते के अंदर से कुछ पदार्थ निकाला। इसके बाद वहां पीले रंग का धुआं उठने लगा। बाद में सांसदों और मार्शलों ने मिलकर दोनों को पकड़ लिया। इसके बाद पीठासीन अधिकारी ने कार्यवाही स्थगित कर दी।

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