हिमालय की गोद में बसे नेपाल में एक बार फिर धरती हिली है. यहां धरती इस कदर हिली है कि 70 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. दरअसल, नेपाल में शुक्रवार (3 नवंबर) रात 6.4 तीव्रता का जोरदार भूकंप आया. भूकंप के झटके इतने शक्तिशाली थे कि इसे भारत की राजधानी दिल्ली समेत उत्तर के राज्यों तक में महसूस किया गया. नेपाल में भूकंप के झटके रात 11.32 बजे आए. लोगों को अपनी जान बचाने के लिए घरों से भागना भी पड़ा.
हालांकि, ये पहला मौका नहीं है, जब नेपाल को इस तरह के भूकंप के झटकों का सामना करना पड़ा है. नेपाल में पहले भी भूकंप के झटके आते रहे हैं और सबसे ताजा मामला तो 2015 में आए भूकंप का है, जिसमें 8 हजार लोगों की मौत हो गई थी. मगर अब ये सवाल उठता है कि नेपाल में बार-बार भूकंप के झटके क्यों आते हैं, आखिर इसकी धरती के नीचे ऐसा क्या छिपा है, जो इसे हिलने पर मजबूत कर देता है? आइए आज इन्हीं सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं.
नेपाल में बार-बार क्यों भूकंप आता है?
दरअसल, इस सवाल का जवाब नेपाल की लोकेशन और इसके भूगोल में छिपा हुआ है. नेपाल में सिर्फ 17 फीसदी इलाका ही प्लेन यानी एकसमान है. बाकी के इलाके में या तो पहाड़ हैं या फिर जंगल. प्लेन इलाके को तराई के तौर पर जाना जाता है. वहीं, ऊपर से इसके उत्तरी छोर पर हिमालय के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ मौजूद हैं. नेपाल इतना ज्यादा भूकंप के झटके क्यों झेलता है, ये समझने के लिए हमें थोड़ा सा जियोलॉजी यानी भूगर्भशास्त्र जानने की भी जरूरत है.
पृथ्वी की परत यानी क्रस्ट बड़ी-बड़ी टेक्टोनिक प्लेटों से बनी हुई है. इस भूभाग में ही धरती के सभी महाद्वीप शामिल हैं. इन टेक्टोनिक प्लेटों में गतिविधि होती रहती है और ये हिलती और एक-दूसरे से टकराती रहती हैं. ऐसी ही दो बड़ी टेक्टोनिक प्लेटों के किनारे पर नेपाल मौजूद हैं. दरअसल, इंडो-ऑस्ट्रेलियन और यूरेशियन प्लेट के बीच में नेपाल की लोकेशन है. जब इन दोनों प्लेटों की टक्कर होती है, तो नेपाल में भूकंप के झटके आते हैं.
हर साल 5 सेमी की दर से दोनों प्लेटे एक-दूसरे पर चढ़ रही हैं, जिसकी वजह से बार-बार नेपाल में भूंकप आता है. भले ही ये रफ्तार आपको कम नजर आए, लेकिन इसका प्रभाव बहुत ज्यादा होता है. इन दोनों प्लेटों की टक्कर की वजह से 5 करोड़ साल पहले हिमालय के पहाड़ बने थे. नेपाल की एक बड़ी मुसीबत यहां की कमजोर इमारतें हैं, जो भूकंप के तेज झटकों को संभालने के काबिल नहीं है. यही वजह है कि जब भी भूकंप आता है, तो बड़ी संख्या में लोगों को जान गंवानी पड़ती है.