मध्य प्रदेश में बीजेपी इस बार विधानसभा चुनाव बिना किसी मुख्यमंत्री चेहरे के लड़ रही है. माना जा रहा है कि अगर बीजेपी को यहां जीत मिलती है, तो शायद शिवराज सिंह चौहान को फिर से सीएम नहीं बनाया जाए. यही वजह है कि सीएम पद की रेस में कई प्रमुख नेताओं के नाम भी शामिल हो गए हैं. इसमें से ही एक नाम केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का है. लेकिन वह सीएम की रेस में शामिल होने की बातों को नकारते हुए नजर आए हैं.
दरअसल, मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए इस महीने वोटिंग होनी है. ऐसे में चुनावी मैदान पर सभी उम्मीदवारों ने अपनी तैयारी तेज कर दी है. बीजेपी ने मध्य प्रदेश में अपना किला बचाने के लिए लोकसभा सांसदों तक को टिकट दिया है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीजेपी मध्य प्रदेश जीतने के लिए किस हद तक जा रही है. बीजेपी की तरफ से चुनाव प्रचार के लिए सभी प्रमुख नेताओं को मैदान में उतार दिया गया है. सिंधिया भी चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं.
सीएम पद की रेस में शामिल होने पर क्या कहा?
अंग्रेजी अखबार द हिंदू को दिए एक इंटरव्यू में ज्योतिरादित्य सिंधिया से सीएम पद को लेकर सवाल हुआ. उनसे पूछा गया कि आपने हाल ही में कहा कि किसी को भी सीएम पद की रेस में सिंधिया परिवार को शामिल नहीं करना चाहिए? आपका क्या मतलब था? इसके जवाब में सिंधिया ने कहा, ‘हम कभी भी सीएम पद की रेस में नहीं थे, न ही आज मैं इसमें शामिल हूं. मेरी दादी, मेरे पिता, उनमें से कोई भी सीएम की रेस में नहीं रहा है. हम सिर्फ विकास की रेस में शामिल हैं. मैं 2018 में भी सीएम रेस में नहीं था और न आज हूं.’
कांग्रेस छोड़ बीजेपी का थामा दामन
मार्च 2020 में सिंधिया 22 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. इस वजह से राज्य में कांग्रेस की सरकार गिर गई और बीजेपी की एक बार फिर से सत्ता में वापसी हुई. कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस सिर्फ 15 महीने की सरकार चला पाई. तीन साल बाद अब सिंधिया एक बार फिर चुनाव प्रचार के लिए मैदान में हैं, मगर अब वह बीजेपी के लिए वोट मांगते हुए दिख रहे हैं. उनका प्रमुख फोकस ग्वालियर-चंबल इलाका है, जहां एक वक्त उनके परिवार का राज हुआ करता था. मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को वोट डाले जाएंगे.